गूगल ने डूडल बनाकर डेनिश माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट हैंस क्रिश्चियन को किया याद, जिन्होंने की थी ‘ग्रैम स्टेन’ की खोज

गूगल ने डूडल बनाकर डेनिश माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट हैंस क्रिश्चियन को याद किया | उनको ‘ग्रैम स्टेन’ की खोज की खोज के लिए जाना जाता है. बर्लिन में 1884 में बैक्टीरिया के वर्गीकरण के तरीके को हंस क्रिश्चियन ने ईजाद किया. उनके इसी काम के लिए उन्हें आज भी दुनिया भर में याद किया जाता है.

गूगल ने डूडल बनाकर डेनिश माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट हैंस क्रिश्चियन को किया याद, जिन्होंने की थी 'ग्रैम स्टेन' की खोज

गूगल डूडल आज डैनिश माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैंस क्रिश्चियन ग्रैम का 166वां जन्मदिवस मना रहा है. गूगल की दुनिया में खास तरह का योगदान देने वाले लोगों को अक्सर डूडल बनाकर याद करता है. आज यानी 13 सितंबर को गूगल ने डेनमार्क के मशहूर माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट हैंस क्रिश्चियन ग्रैम को याद किया है. आज उनका 166वां जन्मदिन है. उन्हें ग्राम स्टेन की खोज के लिए जाना जाता है.

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हैंस क्रिश्चियन ग्रैम ने 1884 में एक जर्नल में ग्रैम-पॉज़िटिव और ग्रैम नेगेटिव  नाम से अपनी खोज को पब्लिश किया. साथ ही बताया कि ग्रैम पॉज़िटिव बैक्टिरिया माइक्रोस्कोप से पर्पल कलर का दिखा, क्योंकि सेल की लेयर काफी मोटी थी जिस वजह से वो घुल नहीं पाई. वहीं, ग्रैम नेगेटिव बैक्टिरिया की सेल काफी पतले थे, जिस वजह से वो घुल पाए. इस तरीके से बैक्टीरिया को अलग अलग प्रजातियों में बांटा जा सकता है.

जर्नल में हैंस क्रिश्चियन ग्रैम ने लिखा, “मैं इस विधि को पब्लिश कर रहा हूं, हालांकि मुझे मालूम है कि ये अभी अधूरी है और इसमें कई दोष मौजूद हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि कोई खोजकर्ता इस जर्नल को पढ़ेगा और इस विधि को आगे बढ़ाने में सफलता मिलेगी.”

हैंस क्रिश्चियन का जन्म 13 सितंबर 1853 को हुआ था. हैंस क्रिश्चियन एक डेनिश माइक्रोबायोलॉजिस्ट थे. उन्होंने 1878 में अपनी M.D. की डिग्री यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन से हासिल की. इसके बाद उन्होंने फार्माकोलॉजी और बैक्टीरियोलॉजी के अध्ययन के लिए यूरोप में 1883 से 1885 तक यात्रा की. इस दौरान बर्लिन में 1884 में बैक्टीरिया के वर्गीकरण के तरीके को उन्होंने ईजाद किया. उनके इसी काम के लिए उन्हें आज भी दुनिया भर में याद किया जाता है.

हैंस क्रिश्चियन ग्राम ने बैक्टीरिया को उनके केमिकल और फिज़िकल प्रॉपर्टीज़ के आधार पर वर्गीकृत किया. बैक्टीरिया की भीतरी झिल्ली के आधार पर और इसके केमिकल और फिज़िकल प्रॉपर्टीज़ के आधार पर हैंस ने इनको अलग-अलग प्रजातियों में बांटा.

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गूगल ने जो डूडल बनाकर हैंस क्रिश्चियन को याद किया है उसमें ग्रैम के प्रयोग से लेकर माइक्रोस्कोप और बैक्टीरिया के नमूनों की बारीकी तक सब कुछ दिखाया गया है.

डैनिश वैज्ञानिक हैंस क्रिश्चियन की 85 की उम्र में साल 1938 में मौत हो गई. ग्रैम स्टेनिंग तकनीक का इस्तेमाल माइक्रोबायोलॉजी के इतिहास में उनकी मौत के बाद भी किया जाता रहा और आज भी किया जा रहा है. उनके द्वारा इजाद की गई इस तकनीक का इस्तेमाल आज भी बायोल़ॉजी स्टूडेंट लैब में करते हैं.

 

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