काफी लम्बे समय से मंदी दौर से गुजर रही हैं ऑटो सेक्टर की कंपनी , कई हज़ार कर्मचारियों को बड़ा नुकसान…

भारत की सबसे बड़ी कंपनी ऑटो सेक्टर इस वक्त काफी समय से मंदी के दौर से गुजर रहा हैं. बतादें की वहां के कई हज़ार कर्मचारियों को अब अपनी नौकरी से हाथ धोना पद रहा हैं. देखा जाये तो भारतीय ऑटो उद्योग के कारोबार में मंदी का असर माल सप्लाई करने वाली कंपनियों के कारोबार पर भी पड़ा है.

 

खबरों के मुताबिक भारतीय ऑटो उद्योग में तेजी से आई गिरावट के कारण गाड़ियों के पार्ट्स सप्लाई करने वाली 400 कंपनियों को इस वित्तीय वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. 2019 में ऑटो उद्योग में आई गिरावट का असर AIFI (एसोसिएशन ऑफ इंडिया फोर्जिंग इंडस्ट्री) की आय पर भी पड़ा है.

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बता दें कि पिछले वर्ष AIFI की वार्षिक राजस्व आय लगभग 50 हजार करोड़ रुपये थी. भारतीय फोर्जिंग उद्योग संघ के दो वरिष्ठ सदस्यों ने आजतक से बातचीत में कहा कि ऑटो उद्योग में आई गिरावट का असर 400 सदस्यीय औद्योगिक इकाइयों पर पड़ा है जो AIFI के अंतर्गत आते हैं. इससे प्रभावित होने वाली कंपनियों में 180 से 200 विनिर्माण इकाइयां हैं. 83% छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयां हैं. 9% मध्यम इकाइयां हैं और बाकी बड़े पैमाने पर औद्योगिक निर्माता हैं.

वहीं ऑटो सेक्टर में गिरावट का सबसे ज्यादा खामियाजा लघु उद्योग को हुआ है. वर्ष 2018-19 के उत्पादन से फोर्जिंग उद्योग को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, लेकिन इस वित्त वर्ष में फोर्जिंग इंडस्ट्री को 9 से 10 हजार करोड़ रुपए तक का नुकसान होने का अनुमान है. जहां वाहनों की बिक्री में आई गिरावट से मुख्य रूप से छोटे पैमाने की इकाइयां प्रभावित होंगी. तुलनात्मक रूप से देखें तो मध्यम और बड़े पैमाने के फोर्जिंग उद्योगों के मुकाबले छोटे पैमाने की इकाइयों को ज्यादा बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

दरअसल प्रतिकूल प्रभाव तब होता है जब इन्वेंट्री अटक जाती है, फंड रोक दिया जाता है या फिर लिक्विडिटी (तरलता) बहुत दयनीय स्थिति में होती है. ऑटो सेक्टर BS-4 से BS-6 में होने वाले परिवर्तन के कारण संकट में है. BS-6 के इंतजार में कारों की बिक्री में तेजी से कमी आई है. लेकिन परेशानी ये है कि ऑटो सेक्टर में गिरावट के कारण छोटे उद्योगों के माल की खपत नहीं हो पा रही है.

ऑटो पार्ट्स के खपत नहीं होने की स्थिति में उन्हें बनाने वाली छोटी कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा. कच्चा माल बचेगा तो उन्हें बनाने वाली कंपनियां ऑटो पार्ट्स की कीमतों को कम करने पर मजबूर हो जाएंगी. जिसके परिणामस्वरूप लघु उद्योगों में काम कर रहे लोगों भारी संख्या में नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.

 

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