ऑस्ट्रेलिया में बड़ा ऐलान वोट नहीं डालने वालों पर लगेगा , 1000 रु. का जुर्माना…
नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया में शनिवार को आम चुनाव के लिए वोटिंग होगी। सरकार ने 1924 में यहां अनिवार्य मतदान का नियम बनाया था। तब से कभी भी यहां 91% से कम वोटिंग नहीं हुई।
साल 1994 में तो 96.22% वोटरों ने मतदान किया था। जहां सरकार मानती है कि वोटिंग अनिवार्य होने से लोग राजनीति और सरकार के कार्यों में रुचि लेते हैं। वे सक्रिय होकर वोटर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन कराते हैं।
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वहीं इससे नियम का कुछ संगठन विरोध भी करते हैं। वे कहते हैं कि यह लोकतंत्र के मूलभूत आधार मतलब आजादी के खिलाफ है। इस नियम के समर्थक कहते हैं कि सरकार चुनने में जनता की भागीदारी अहम होनी चाहिए।
देखा जाये तो ऑस्ट्रेलिया में हर तीन साल में आम चुनाव होते हैं। सरकार वोटिंग बढ़ाने के लिए वोटरों की सुविधा पर ध्यान देती है। जिन नागरिकों के पास अपने घर नहीं हैं, वे यात्री वोटर के तौर पर खुद का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। अस्पताल में भर्ती वोटर पोस्टल बैलेट से वोटिंग कर सकते हैं। जो लोग वोटिंग के दिन बूथ पर पहुंचने में असमर्थ हैं, उनके लिए अर्ली वोटिंग सिस्टम की सुविधा है। 23 देशों में वोटिंग अनिवार्य है।
ऑस्ट्रेलिया में 12 साल में 6 प्रधानमंत्री बन चुके हैं –
- 2007 से केविन रड 934 दिन पीएम रहे थे।
- जूलिया गिलार्ड 2010 से 1099 दिन तक पद पर रहीं।
- रड 2013 में फिर पीएम चुने गए, पर 83 दिन ही सके।
- 2013 में टोनी एबट आए। उनका टर्म 727 दिन रहा।
- मैल्कम टर्नबुल 2015 में आए। 1074 दिन बाद पद छोड़ना पड़ा।
- 2018 में स्कॉट मॉरिसन 270 दिन के पीएम बने।