उम्र भले ही चाहे जितनी छोटी हो , अपने दम पर दुनिया में बनाई अलग पहचान…

आज के समय में बच्चों के हौसले का अनुमान लगाई ही सकते हैं। वहीं देखा जाए तो उम्र भले ही चाहे जितनी छोटी हो लेकिन पूरी दुनिया में अपना नाम का परचम लहरा रखा है।
खबरों के मुताबिक  उत्तराखंड के इन होनहारों ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और काम के दम पर उन्होंने समाज में एक अलग पहचान और मुकाम हासिल किया है।जहां कोई रियलिटी शो के जरिये देशवासियों का चहेता बना तो किसी ने पर्यावरण के मुद्दों को लेकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। कारण और काम चाहे जो भी हो लेकिन इन छोटे बच्चों ने ये संदेश जरूर दिया है कि उम्र देखकर उन्हें कम न आंका जाए।
वहीं प्रेमनगर के बडोवाला निवासी 11 वर्षीय अक्षित को रियलिटी शो में भेजने का खर्च पूरा करने के लिए उसके पिता ने अपनी ई रिक्शा की बैटरी बेच डाली थी। उसके बाद जब अक्षित ने सुपर डांसर चैप्टर तीन के टॉप छह में जगह बनाई।
जब वह मुंबई से दून लौटा तो उसके पिता अपने सजे हुए रिक्शे में लेकर उसे घर पहुंचे। आज अक्षित दून ही नहीं बल्कि देशवासियों की नजर में स्टार बन चुका है। टीवी पर अक्षित अपनी अगली पारी के लिए तैयारी कर रहा है। छोटी उम्र में अक्षित को मिली सफलता पर परिवार गौरवान्वित है।

 

क्लमेंटटाउन निवासी आकाश थापा ने सुपर डांसर-टू के फाइनल में जगह बनाकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। बेहद कम उम्र के आकाश की डांसिंग एबिलिटी को देखकर टीवी और फिल्म के कई दिग्गजों ने भी उसकी तारीफ की।

 

आकाश ने सुपर डांसर-टू के बाद कई मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर जमकर वाहवाही बटोरी। आज भी आकाश रियलिटी शो के जाने-माने प्रतिभागियों में शामिल है। आकाश दून समेत देश के कई हिस्सों में अपने डांस का जादू दिखा चुके हैं।

 

92 साल पुराने कर्नल ब्राउन कैंब्रिज स्कूल में पहली बार किसी छात्रा ने एडमिशन लिया। नन्ही शेकायना मुखिया ने स्कूल की पहली छात्रा बनने का गौरव हासिल किया। सैकड़ों छात्रों के बीच अकेली छात्रा की हिम्मत और जज्बे की सबने सराहना की।

 

17 मार्च 1926 को अपनी स्थापना के बाद से इस वर्ष की शुरूआत तक कर्नल ब्राउन स्कूल में एक भी छात्रा को प्रवेश नहीं मिला था। शेकायना इससे पहले वाइस ऑफ इंडिया किड्स में हिस्सा लेकर अपनी अलग पहचान बना चुकी थी। शेकायना को एडमिशन देने के लिए स्कूल को अपने वर्षों पुराने नियमों में बदलाव करना पड़ा।
दरअसल दुनियाभर में इन दिनों पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर चिंतन का दौर चल रहा है। उत्तराखंड की बेटी रिधिमा पांडे ने भी बहुत कम उम्र में पर्यावरण के क्षेत्र में दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। कुछ समय पूर्व रायवाला निवासी रिधिमा ने नार्वे में पर्यावरण के दो दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लिया था, उसमें उन्होंने अपने तर्कों के दम पर दुनियाभर के पर्यावरण विज्ञानी व विशेषज्ञों का ध्यान खींचा।

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