उत्तराखंड की देवभूमि पर रहते हैं शिव-पार्वती, दर्शन करने मात्र से मिलता है मोक्ष

उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जहा है। वहा के शान्त वातावरण में ज्यादातर देवी-देवताओ को वास होता है। उसी देवताओ की भूमि में  एक स्थान है बागेश्वर के भगवान शिव। सरयू और गोमती का भौतिक संगम होने के साथ-साथ सरस्वती का मिलन भी यहीं होना बताया जाता है। हां, सरस्वती यहां गुप्त रूप से निवास करती हैं। उत्तरायण शुरू होते ही प्रयाग की तरह ही यहां भी एक महीने का माघ मेला लगता है।

बागेश्वर को दूसरी काशी भी कहा जाता है

अल्मोड़ा से करीब 75 किलोमीटर दूर बागेश्वर के विषय में स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है। बागेश्वर असल में शिव की लीला स्थली है। भगवान शिव के गण चंडीस ने इसकी स्थापना की। इसे ‘दूसरी काशी’ भी कहा जाता है। यहां शंकर-पार्वती निवास करते हैं। नील पर्वत की आभा देखते ही बनती है।

ये भी पढ़े :दुनिया का पहला ऐसा जीव जो रह सकता है बिना सांस लिए, आखिर कहां से आया…

गोमती और सरयू का परस्पर मिलन मन को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करता है। यहां आकर स्नान से पूर्व मुंडन जरूर करवाना चाहिए। असल में हमारे पाप सिर के बालों की जड़ों में ही निवास करते हैं।

ये भी पढ़े :डोनाल्ड ट्रंप का भारत से हैं ये खास रिश्ता,जानकर हो जायेंगे हैरान

कहा जाता है कि शिव के समक्ष ही यहां आकाश में स्वयंभू लिंग उत्पन्न हुआ, जिसकी यहां मौजूद ऋषियों ने बागीश्वर रूप में विधि-विधान से आराधना की।

ये भी पढ़े :क्या है होलिका दहन का महत्व, जानें शुभ मुहूर्त और लाभ

स्कंद पुराण में कथा है कि एक बार मार्कंडेय ऋषि नीलपर्वत पर मौजूद ब्रह्मकपाली शिला पर तपस्या कर रहे थे। ब्रह्मर्षि वशिष्ठ जब देव लोक से विष्णु की मानसपुत्री सरयू को लेकर आए तो तपस्या में लीन मार्कंडेय ऋषि के कारण सरयू को आगे बढ़ने के लिए रास्ता नहीं मिला।

ये भी पढ़े :मेडिकल स्टोर पर छापेमारी के दौरान लाखों की फर्जी दवाइयां बरामद

शिव जी से संकट दूर करने का निवेदन किया गया। शिव जी ने तब बाघ का रूप धारण किया और माता पार्वती ने गाय का। गाय जब घास खा रही थी तो बाघ ने जोर से गर्जना की।

ये भी पढ़े :महिला होमगार्ड ने सिपाही पर लगाया शोषण का आरोप, एसपी से लगाई मदद की गुहार

डर के मारे गाय जोर-जोर से रंभाने लगी। मार्कंडेय की समाधि भंग हो गई। गाय को बाघ से बचाने के लिए मार्कंडेय दौड़ पडे़। सरयू तुरंत आगे बढ़ गईं।

कलकल बहती सरयू का स्नान मोक्ष प्रदान करता है। सरयू का सतोगुणी जल पीने से सोमपान का फल मिलता है तो स्नान करने से अश्वमेघ का फल। इस तीर्थ में जिनकी मृत्यु होती है, वे शिव को ही प्राप्त होते हैं।

ये भी पढ़े :दिल के दर्द की वजह कही ये तो नही!…

बागेश्वर सूर्य तीर्थ तथा अग्नि तीर्थ के बीच स्थित है। गोमती नदी अम्बरीष मुनि के आश्रम में पालित नंदिनी गाय के सींगों के प्रहार से उत्पन्न हुई हैं, जिनका जल तमोगुणी माना जाता है।

LIVE TV