दिल के दर्द की वजह कही ये तो नही!…

कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा शरीर में जमा होने वाला रासायनिक तत्व है। यह शरीर के लिए जरूरी तत्व है, क्योंकि इसका इस्तेमाल हमारे शरीर में यौन हार्मोन्स के निर्माण, विटामिन के चयापचय, बच्चों के मस्तिष्क के तन्तुओं के विकास में होता है। लेकिन कोलेस्ट्रॉल की अधिकता खतरनाक है। इससे स्थूलता, हृदय रोग होने की प्रबल आशंका बनी रहती है।

 

कोलेस्ट्रॉल की अधिकता से नुकसान

जब कोलेस्ट्रॉल की अधिकता होती है तो यह आर्टरी ब्लॉकेज, स्ट्रोक्स और अन्य ह्रदय की समस्यायों का कारण बनता है। कोलेस्ट्रॉल की अधिकता होने पर यह रक्त वाहिनियों के अंदर दीवारों पर जम जाता है और रक्त वाहिनियां संकरी हो जाती हैं। इनके संकरी होने के कारण ह्रदय तक कम रक्त पहुंचता है।

‎कोलेस्ट्रॉल का निर्माण

1- भोजन के माध्यम से

2- लिवर भी शरीर की आवश्यकतानुसार कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है।

‪‎कोलेस्ट्रॉल के प्रकार

कोलेस्ट्रॉल रक्त में नहीं घुलता है। इस वजह से शरीर से बाहर इसका उत्सर्जन नहीं हो सकता है। यह लिपोप्रोटीन नामक विशेष प्रोटीन की सहायता से फैलता रहता है। यह प्रोटीन दो प्रकार के होते हैं। पहला, लो डेन्सिटी लाइपोप्रोटीन (LDL) जो कोलेस्ट्रॉल को लीवर से अन्य अंगों तक ले जाता है। LDL को खराब कोलेस्ट्रॉल जाना जाता है। LDL का स्तर 130 mg से अधिक होने से ह्रदय सम्बन्धी रोग होने की आशंका रहती है।

वहीं, हाई डेन्सिटी लाइपोप्रोटीन (HDL) को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। यह लीवर एवं छोटी आंत की दीवारों में रहता है। यह शरीर की सफाई के साथ अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल को जमाव से भी बचाता है।

रजोनिवृति के पूर्व तक सामान्यतः महिलाओं में ह्रदय रोग की संभावना पुरुषों की अपेक्षा कम होती है। पुरुषों में HDL का स्तर 25 mg से कम होने पर ह्रदय रोग की आशंका बढ़ जाती है।

‪कोलेस्ट्रॉल वृद्धि के कारण

अनहेल्थी डाइट: ऐसा आहार जिसमें संतृप्त वसा (सेचुरेटेड फैट) होती हैं, जैसे- मांस, मक्खन, पनीर, केक, घी, तेल। इनके अधिक सेवन से बचें।

मानसिक तनाव

तनाव की स्थिति में व्यक्ति को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता महसूस होने लगती है, जिसके कारण पिट्यूटरी, एड्रिनल एवं थाइराइड आदि अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ, हार्मोन्स का अधिक स्राव करने लगती हैं। किडनी से भी ऐंजियोटेंशिन का स्राव बढ़ जाता है, इसका परिणाम होता है कोलेस्ट्रॉल के स्तर में अधिकता होती है।

कुछ बीमारियाँ जैसे- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी, पैंक्रियाज, थाइराइड आदि के कारण भी कोलेस्ट्रॉल स्तर में वृद्धि होती है।

आलसी जीवनशैली, मोटापा, कुछ दवाएं कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा देती हैं। कोई भी दवा लें डॉक्टर के परामर्श से लें। उम्र बढ़ने के साथ भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।

 

क्या ‪‎न खायें

फुल क्रीम दूध और उससे बना पनीर या खोया न खायें, नारियल व नारियल का दूध, उड़द की दाल, नमक/चीनी, मैदा/चावल, चाय/कॉफ़ी, अत्यधिक प्रोटीन वाला भोजन चिकनाई व स्टार्च वाला भोजन, मांस/मदिरा, फास्टफूड/जंकफ़ूड/डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, तेज मिर्च-मसालेदार व तला, भुना भोजन, सैचुरेटेड फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें। बाकी सभी खाद्य पदार्थ खाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।

योग-प्राणायाम को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं, सकारात्मक चिंतन, निर्धारित समय पर ही भोजन करें, भोजन हल्का हो और जल्दी पचने वाला हो, भोजन धीरे-धीरे एवं चबाकर खायें, अगर भूख नहीं है तो खाना न खायें, शारीरिक गतिविधियां बढायें जैसे- आसपास कम दूरी के कार्य करने के लिए पैदल जायें, सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।

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