14000 फीट की ऊंचाई पर रहस्यमयी धान की खेती ! वन देवियां करती हैं देखरेख…
REPOTER-PUSHKAR NEGI
चमोली- क्या आप साेच सकते हैं कि 14000 फिट से भी ऊपर गढ़वाल हिमालय के उच्चहिमालयी क्षेत्राें में भी धान की खेती हाे सकती है, जहाँ परिंदा भी पर नहीं मार सकता. वहां धान की खेती होना अपने आप में बहुत अद्भुत बात है, यह भी सच्चाई है की यहाँ हर किसी को धान की खेती देखने को मिलती है .जहाँ 5 महिना डयाली सेरा बर्फ से लदा रहता है.
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वहीं बर्फ पिघलने के बाद यहाँ धान की रोपाई होती है और सितंबर में यहाँ धान देखने को मिलती है. जी हां. वाे भी रहस्यमयी खेती। उत्तराखंड के चमाेली जिले की जाेशीमठ के उच्चहिमालयी अल्पाईन जाेंन क्वांरी पास के ठीक सामने स्थित है यह रहस्यमयी पवित्र क्षेत्र डयाली सेरा. जिसे स्थानीय भाषा में देवताओं का सेरा (धान के खेत) कहा जाता है. समुद्र तल से करीब 14 हजार फिट से ऊपर स्थित डयाली सेरा नामक यह वीरान सुनसान बुग्याली स्थान क्षेत्र के रमणीक स्थलाें में से एक है।
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पाैरांणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर देवताओं के छाेटे-छाेटे धान के खेत है, जिनकी देखरेख आज भी वन देविंया करती है. जिन्हे स्थानीय लाेग परियां कहते हैं. डयाली सेरा नाम से प्रसिद्ध इस जगह पर पूरी तरह वन देवियाें का ही साम्राज्य चलता है. कहते है कि यहां आज भी वन देवियां इन सेराें में धान की फसल बाेने-काटने आती हैं।
स्थानीय मानते हैं की इसे देवीय खेती कहा जाता है. यहाँ भले ही इंसान खेती नहीं करता पर यहाँ की गतिविधयां बताती है की यहाँ कोई तो खेती कर रहा है. यही नहीं इन धान के सेराें के लिये पानी की अदृश्य निकासी भी देंवागन टाप से यहांतक हाेती है और धान की फसल तैयार हाेने पर यहां बाकी बचे हुये भूसे काे आज भी प्रमाण के ताैर पर हम देख सकते हैं. इन रहस्यमयी धान के सेराें काे देखनें डयाली सेरा कम ही लाेग पहुंच पाते हैं.
आज के इस वैज्ञानिक युग में भी देवभूमि उत्तराखंड की इन उच्च हिमालयी क्षेत्राें में आध्यात्मिक और पौराणिक तथ्य माैजूद हैं जाे किसी रहस्य और काैतूहल से कम नहीं है। यहीं पर हनुमान ताल भी है और प्रसिद्द पाँगर चूला पीक भी, यहीं से साहसिक पर्यटक पहुँचते हैं.