इस किताब में किया दावा, चंद्रशेखर सरकार अयोध्या विवाद को सुलझाने में होने वाली थी कामयाब

साल 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से करीब दो साल पहले  चंद्रशेखर सरकार ने अध्यादेश के जरिए अयोध्या विवाद को सुलझाने की योजना पर काम किया था. यह दावा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर लिखी गई किताब में किया गया है. चंद्रशेखर सरकार कांग्रस की समर्थित सरकार थी.

CHANDRA SHEKHAR

उनकी किताब ‘चंद्रशेखर : द लास्ट आइकन ऑफ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स’ में कहा गया है कि 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उस समय के मुख्यमंत्रियों- मुलायम सिंह यादव, शरद पवार और भैरों सिंह शेखावत के साथ विश्व हिदू परिषद (विहिप) और मुस्लिम नेताओं के बीच संवेदनशील मुद्दे पर मध्यस्थता की थी।

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जयप्रकाश नारायण के करीबी सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय के हवाले से किताब में कहा गया है कि व्यापक तौर पर यह माना जाता है कि चंद्रशेखर सरकार अध्यादेश लागू कर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को ‘सुलझाने के कगार’ पर थी।

‘राजीव गांधी और उनकी मंडली में मच गया था हड़कंप’

किताब में दावा किया गया है कि इस तरह का अध्यादेश तैयार किए जाने की सूचना मिलने पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी और उनकी सलाहकार मंडली में हड़कंप मच गया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि इस तरह की जटिल समस्या के समाधान से चंद्रशेखर का कद बढ़े।

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हरिवंश ने अपनी किताब में आगे कहा है कि चंद्रशेखर प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हिंदुओं (विहिप) और मुस्लिमों (बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी) के तथाकथित नेताओं के बीच शत्रुता को कम करने के लिए कुछ अत्यंत साहसिक कदम उठाने से भी नहीं झिझके। किताब में कहा गया है, ‘चंद्रशेखर दोनों पक्षों को समझौते की मेज पर बैठाने और मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए पारस्परिक समझौतों के वास्ते मार्ग तलाशने में सफल रहे।’

 

मुद्दे को सुलझाने के प्रयास के तहत चंद्रशेखर ने राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अपने पुराने मित्र एवं भाजपा नेता भैरोसिंह शेखावत, कांग्रेस से एक अन्य मित्र और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पवार और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर काम करने के लिए आमंत्रित किया था।

कौन हैं हरिवंश

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले हरिवंश नारायण एनडीए के नेता हैं और फिलहाल राज्यसभा के उपसभापति भी हैं। हरिवंश नारायण सिंह का जन्म 30 जून 1956 को बिहार के छपरा के सिताबदियारा के दलजीत टोला में हुआ। हरिवंश ने अपनी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा गांव के सटे टोला काशी राय स्थित स्कूल से शुरू की।

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उसके बाद, जेपी इंटर कालेज सेवाश्रम (जयप्रकाशनगर) से 1971 में हाईस्कूल पास करने के बाद वे वाराणसी पहुंचे। वहां यूपी कॉलेज से इंटरमीडिएट और उसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक किया और पत्रकारिता में डिप्लोमा की डिग्री हासिल की।

अप्रैल 2014 में उन्हें राज्यसभा के लिए बिहार से चुना गया। उनका कार्यकाल अप्रैल 2020 में पूरा होगा। हरिवंश को जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा के दौरान ही वर्ष 1977-78 में टाइम्स ऑफ इंडिया समूह मुंबई में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में उनका चयन हुआ।

इसके बाद वे टाइम्स समूह की साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग में 1981 तक उप संपादक रहे। 1981-84 तक हैदराबाद एवं पटना में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की और वर्ष 1984 में इन्होंने पत्रकारिता में वापसी की और 1989 अक्तूबर तक आनंद बाजार पत्रिका समूह से प्रकाशित रविवार साप्ताहिक पत्रिका में सहायक संपादक रहे।

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