आर्थिक स्थिति को लेकर भारत में असमंजस बरकरार, जाने भारत की क्या हैं मांग…

भारत में इस साला आर्थिक स्थिति को लेकर एक असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं। देखा जाये तो आर्थिक क्षेत्र की साझेदारी में व्यापार समझौते को लेकर एक हम सवाल उठ रहे हैं.

 

 

बतादें की लेकिन भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी करार में ही शामिल होगा. भारत घरेलू उद्योगों के सुरक्षा की मांग कर रहा है. जहां भारत साझेदारी बढ़ाने को तैयार हैं.

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लेकिन मुक्त व्यापार समझौते को लेकर सहमति इसलिए गतिरोध जारी है क्योंकि अपने घरेलू उद्योगों के सुरक्षा की मांग कर रहा है. माना जा रहा है कि इस मसले में बातचीत कर रहे 16 देश बिना किसी सहमति पर पहुंचे संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं जिसमें थाईलैंड भी शामिल है.

वहीं इससे भारतीय उद्योग, विशेष रूप से व्यापार और कृषि समुदायों के आंदोलनकारी वर्गों को कुछ राहत मिल सकती है. जापानी टीवी चैनल फ़ूजी न्यूज नेटवर्क के अनुसार, 1 नवंबर को आयोजित आरसीईपी सदस्य देशों के व्यापार मंत्रियों के बीच बैठक बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई.

जहां समझौते पर सहमति इसलिए नहीं बन पाई क्योंकि भारत चीन से सस्ते आयात के खतरे के कारण कई उत्पादों पर टैरिफ को कम या खत्म करने को तैयार नहीं था. भारत की बड़ी चिंता चीन से होने वाला सस्ता आयात है, जिससे घरेलू कारोबार पर असर पड़ सकता है. साथ ही, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से सस्ते दुग्ध उत्पादों का आयात होने से घरेलू डेरी उद्योग प्रभावित हो सकता है.

दरअसल इसी चिंता को लेकर देश के किसान संगठनों ने सरकार से आरसेप के तहत व्यापार करार में डेयरी उत्पादों को शामिल नहीं करने की मांग की है. हालांकि आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान इस मसले की प्रगति के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि इसे अगले साल फरवरी में अंतिम रूप दिया जा सकता है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जापान के जापान के पीएम शिंजो आबे, वियतनाम के पीएम गुयेन जुआन फुच और ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन के साथ मुलाकात करेंगे.

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