भटके युवाओं के सुधार अभियान को जल्द मिलेगी कानूनी मान्यता

आतंकी मानसिकतालखनऊ। आतंकी मानसिकता से ग्रसित युवकों को सही रास्ते पर वापस लाने के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के ‘डी-रेडिक्लाइजेशन’ (कट्टरता से बाहर निकालना) अभियान को उत्तर प्रदेश सरकार कानूनी मान्यता देने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत है।

संदिग्ध गतिविधियों में हिरासत में लिए गए युवकों से पूछताछ में पर्दाफाश हुआ कि आतंकी संगठनों के गुर्गे आर्थिक रूप से कमजोर, भटके युवकों को कट्टर बनाने का प्रयास रहे हैं। उनके अंदर आतंकी भावना भरने का प्रयास कर रहे हैं। यूपी एटीएस ने ऐसे युवकों को वारदात में शामिल होने से पहले उनकी पहचान कर उनको सही राह पर लाने का अभियान शुरू किया था। गत माह पांच प्रदेशों की पुलिस के साझा अभियान में चार आतंकियों के साथ संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इल्जाम में छह युवकों को हिरासत में लिया था।

पूछताछ में युवकों को पथभ्रष्ट किए जाने की साजिश का पर्दाफाश हुआ था। मगर वे अपराध, आतंकी गतिविधि में शामिल नहीं पाए गए थे। इस पर एटीएस अधिकारियों ने युवकों पर निगरानी बनाए रखने के साथ छोड़ दिया। उसी समय एटीएस के आइजी असीम अरुण ने कहा था कि ‘युवकों के कट्टरता की जद में आने, राह भटकने के कारणों की पड़ताल कर उन्हें सही रास्ते पर लाने का प्रयास किया जाएगा। अपराधी, आतंकी पकड़ने में इनका इस्तेमाल नहीं होगा।’ एटीएस ने इस दिशा में प्रयास तेज किया। युवकों के परिवार, उनके मित्र और धर्म गुरुओं की मदद से उनकी काउंसिलिंग शुरू कराई।

यूं चल रहा है अभियान

‘डी-रेडिक्लाइजेशन’ के लिए चिह्न्ति युवक से एटीएस अधिकारी लगातार संपर्क में रहते हैं। कुछ दिनों तक संबंधित को एटीएस कार्यालय बुलाकर बातचीत होती है। फिर बातचीत को साप्ताहिक और पाक्षिक में तब्दील किया जाता है। इस प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाता है। एक साल तक संपर्क के बाद मुलाकात सीमित की जाती है। रोजगार का इंतजाम व विवाह के बाद माना जा सकता है कि वह कट्टरता के प्रभाव से बाहर निकल गया है।

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