इस औजार की मदद से अवैध खनन रोकेगी सरकार

प्रदेश की नदियों और खड्डों से अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार प्रस्ताव तैयार कर रही है। प्रदेश की नदियों और खड्डों से अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी।

अवैध खनन

हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है। अदालत को बताया गया कि प्रदेश भर में 44,400 हेक्टेयर क्षेत्र में से सिर्फ  2350 हेक्टेयर को खनन के लिए स्वीकृत किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह का अतिरिक्त समय देते हुए मामले की सुनवाई 16 मई को निर्धारित की है।

इस मामले में हाईकोर्ट नेमुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह उन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ  जांच करें, जिनकी वजह से प्रदेश भर में नदियों के किनारों को नीलामी करने में देरी हुई है।

हार्दिक ने थामा कांग्रेस का हाथ, बोले- जैसा राहुल कहेंगे अब वैसा ही करूंगा…

मुख्य सचिव ने अदालत को बताया था कि नदियों के किनारों से खनन को पहले जमीन लीज पर दी जाती थी। अवैज्ञानिक तरीके से खनन होने लगा। इसे रोकने के लिए अब नीलामी के जरिए चिन्हित स्थान को खनन के लिए दिया जाता है।

इस प्रक्रिया के लिए लंबे समय की जरूरत होती है, क्योंकि केंद्र सरकार से स्वीकृति लेनी जरूरी है।  खंडपीठ ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि नदियों के किनारों को खनन के लिए कितने जल्दी नीलाम किया जा सकता है ताकि अवैध खनन तो रुके साथ ही राज्य सरकार के खजाने में भी बढ़ोतरी हो।

एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अवैध खनन के कारण ऊना  स्थित गरनी खड्ड का पानी सूख रहा है। अपने पिछले आदेशों में हाईकोर्ट ने सचिव उद्योग को आदेश दिए दिए थे कि वे अदालत को बताएं कि प्रदेश भर में कितना क्षेत्र है, जिन नदियों से खनन किया जा सकता है

LIVE TV