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शिक्षा विभाग का बुधवार से शुरू हो रहा सेवारत प्रशिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए कितना फायदेमंद होता है यह तो भविष्य ही बताएगा लेकिन दस दिवसीय इस प्रशिक्षण के दौरान परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं की फजीहत तय है।

शिक्षा विभाग

विभागीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए फरमान के तहत प्रत्येक शिक्षक को प्रशिक्षण लेना अनिवार्य किया गया है जिसके चलते कई विद्यालयों में आज से ताले लटकने तय हैं। हालांकि विद्यालयों में ताला लगने की नौबत से बचने के लिए प्रधानाचार्यों को प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक दिन विद्यालय में उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन एक प्रधानाचार्य किस तरह कक्षाओं का संचालन करेगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

शिक्षकों के लिए दस दिवसीय सेवारत प्रशिक्षण

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा मंगलवार से प्रदेश भर के प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए दस दिवसीय सेवारत प्रशिक्षण की शुरुआत की जा रही है। प्रशिक्षण को शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अनिवार्य बताया जा रहा है। लेकिन परिषदीय व गृह परीक्षाओं से ऐन पहले दस दिवसीय प्रशिक्षण पर सवालिया निशान भी लग रहे हैं। शीतकालीन अवकाश के बाद जनवरी को बोर्ड परीक्षाओं के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है।

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इस माह में अधिकांश विद्यालयों में प्री बोर्ड परीक्षाएं संपन्न कराए जाने के साथ अतिरिक्त कक्षाओं का संचालन व प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। लेकिन इस बार शिक्षा विभाग का फरमान छात्रों पर भारी पड़ने वाला है। विभाग ने प्रत्येक एलटी ग्रेड तक के प्रत्येक शिक्षक को प्रशिक्षण लेना अनिवार्य कर दिया है। जिसके तहत दस दिनों तक विद्यालयों के शिक्षक विहीन रहने की आशंका पैदा हो गई है। सबसे अधिक परेशानी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत संचालित हो रहे विद्यालयों में होगी। जहां सिर्फ पांच शिक्षकों पद ही स्वीकृत हैं। ऐसे में पांचों शिक्षकों के प्रशिक्षण में भाग लेने से प्रधानाचार्य के जिम्मे ही विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्थाएं रहेंगी।

इन विषयों के शिक्षक लेंगे प्रशिक्षण

हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विषय, गणित, विज्ञान (रमसा के तहत संचालित विद्यालयों में एलटी ग्रेड के इन्हीं विषयों के पद स्वीकृत हैं।) जबकि अन्य विद्यालयों में कला व गृह विज्ञान के शिक्षक ही दस दिनों तक मौजूद रहेंगे।

कमजोर छात्रों पर भारी पड़ेगा प्रशिक्षण 
इन दिनों विद्यालयों में प्री बोर्ड परीक्षाएं कराए जाने के बाद मूल्यांकन के आधार पर कमजोर छात्रों के उपचारात्मक शिक्षा के तहत अतिरिक्त कक्षाओं का संचालन किया जाता है। लेकिन शिक्षकों के प्रशिक्षण में भाग लेने से प्री बोर्ड परीक्षाएं देरी से शुरु होंगी, जिससे कमजोर छात्रों को उपचारात्मक शिक्षा का समय नहीं मिल पाएगा।

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प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तैयारी पर पड़ेगा असर 
अधिकांश सरकारी विद्यालयों में संसाधनों की कमी के चलते जनवरी माह मे ही प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। जबकि फरवरी माह से हाई स्कूल व इंटर बोर्ड परीक्षा की प्रयोगात्मक परीक्षाएं शुरु हो जाती हैं। ऐसे में विज्ञान, गणित के शिक्षकों की गैर मौजूदगी से प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तैयारी प्रभावित होगी।

शिक्षकों को मिलेगा अतिरिक्त भत्ता

प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक शिक्षक को प्रति दिन का अतिरिक्त भत्ता देय होगा। जिसमें 110 रुपये प्रतिदिन भोजन भत्ता, पचास रुपये जलपान, यात्रा भत्ता, ग्रेड पे के आधार पर पचास प्रतिशत डीए देय होगा। जबकि मास्टर ट्रेनर को इन सबके साथ ही दो सौ रुपये प्रतिदिन अतिरिक्त दिया जाएगा।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों को सेवारत प्रशिक्षण की व्यवस्था है। बुधवार से शुरू होने वाला प्रशिक्षण प्रत्येक शिक्षक के लिए अनिवार्य है। प्रशिक्षण अवधि के दौरान प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाचार्य की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

 

 

 

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