अगर राहुल PM उम्मीदवार हुए, तो टूट जाएगा महागठबंधन!

दिल्ली।  मार्च 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार के दौरान ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ नारे के साथ राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने पूरे प्रदेश में जनता से वोट की अपील की.

दो लड़कों की ये जोड़ी यूपी के लोगों को रास नहीं आई और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत दे दिया. अब मौका 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव का है, जिससे पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूती से खड़ी बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस सभी गैर-बीजेपी दलों को साथ लाकर सत्ता वापसी की जुगत में है.

लेकिन महागठबंधन के जिन संभावित अपनों से कांग्रेस और राहुल गांधी को उम्मीद है, वही उन्हें झटके देते जा रहे हैं.

राहुल PM

बीते 16 दिसंबर को डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल को अगले प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने का ऐलान क्या किया, महागठबंधन के अहम भागीदार दलों के नेताओं के सुर बदल गए.

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस समेत सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने स्टालिन के इस बयान को खारिज कर दिया. अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी स्पष्ट तौर पर आम चुनाव से पहले राहुल गांधी की पीएम उम्मीदवारी को नकार दिया है.

जिससे लोकसभा चुनाव को लेकर बन रही विपक्षी एकता पर एक बार फिर ग्रहण लगता दिख रहा है.

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सभी नेता तय करें नाम

अखिलेश यादव ने कहा कि जनता अब भाजपा से नाराज है. यही वजह है कि कांग्रेस को तीन राज्यों में सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि अभी महागठबंधन का खाका तैयार किया जाना है.

अखिलेश ने कहा, ‘तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, ममता बनर्जी और शरद पवार ने गठबंधन बनाने के लिए सभी नेताओं को एक साथ लाने का प्रयास किया था.

इस प्रयास में अगर कोई अपनी राय दे रहा है, तो जरूरी नहीं है कि गठबंधन की राय समान हो. प्रधानमंत्री पद के नाम पर किसी का भी नाम गठबंधन के सभी नेता तय करें तो बेहतर है.’

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सीपीएम ने भी नकारा

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी का रुख भी अखिलेश जैसा ही है. आजतक एजेंडा के मंच पर सीताराम येचुरी ने कहा कि स्टालिन ने जो कहा है कि वो उनकी राय है, हम उससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

उन्होंने स्पष्ट कहा कि 2019 चुनाव के बाद महागठबंधन पीएम उम्मीदवार का नाम तय करेगा.

येचुरी के अलावा पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी आम चुनाव से पहले राहुल को पीएम उम्मीदवार घोषित करने के खिलाफ है.

टीएमसी के एक नेता ने कहा है कि पूरे विपक्ष का मानना है कि पीएम पद के लिए किसी भी नाम का आगे बढ़ाना स्वागतयोग्य नहीं है और प्रधानमंत्री का नाम चुनाव नतीजों के बाद ही तय किया जाएगा. टीएमसी का मानना है कि अगर चुनाव से पहले नाम तय किया गया तो इसका असर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में पड़ सकता है.

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शपथ ग्रहण में भी नहीं दिखी पूर्ण एकता

राहुल गांधी की पीएम उम्मीदवारी पर ही नहीं, हाल ही में कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में जब विपक्षी एकता दिखाने का मौका आया तो बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती और सपा नेता अखिलेश यादव ने इससे भी किनारा कर लिया.

इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण में ममता बनर्जी, मायावती और अखिलेश यादव जैसे बड़े भागीदार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ नजर आए थे, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मिली जीत के बाद ये तीनों नेता कांग्रेस नेतृत्व को दरकिनार करते दिखे और अब राहुल की उम्मीदवारी को सार्वजनिक तौर पर खारिज कर महागठबंधन के संभावित भागीदारों ने कांग्रेस को स्पष्ट संदेश भी दे दिया है.

 

 

 

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