अगर देखना है ‘भगवान का बगीचा’ तो हो जायें तैयार, लेकिन जरा संभलकर…

सिर्फ डिग्री लेने से यह साबित नहीं हो जाता कि कोई समझदार और पढ़ा-लिखा हो गया। असल में पढ़ा-लिखा वह होता है जो इंसान होने का मतलब समझे और अपने आस-पास साफ-सफाई रखे।

भारत में स्थित एक गांव पूरी दुनिया में अपनी इसी खासियत के लिए जाना जाता है। इस गांव को एशिया का सबसे साफ गांव का दर्जा मिला है।

'भगवान का बगीचा'

बता दें कि मावल्यान्नांग नाम के इस गांव की सिर्फ यही खासियत नहीं है। इस गांव में 100 प्रतिशत साक्षरता है और पढ़े-लिखे होने के बावजूद यहां के लोग कृषि को प्राथमिकता देते हैं। मावल्यान्नांग सुपारी की खेती के लिए जाना जाता है।

यहां के लोग सरकार के ऊपर निर्भर नहीं हैं, वे खुद ही अपने गांव को साफ रखना अपना कर्तव्य समझते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब अपने गांव को साफ रखने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं।

यही वजह है मावल्यान्नांग गांव को भगवान का बगीचा भी कहा जाता है।

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मावल्यान्नांग में लगभग 15 परिवार रहते हैं। यहां रहने वाले अधिकतर लोग खासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। खासी एक जनजाति है जो भारत के मेघालय, असम और बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में रहते हैं।

खासी समुदाय की परंपरा के अनुसार, मावल्यान्नांग में सम्पत्ति और धन दौलत मां अपनी सबसे बड़ी बेटी को दे देती है और वह अपनी मां का उपनाम आगे बढ़ाती है।

विवाह होने पर पति ससुराल में रहता है। यहां पर आपको सुंदर पानी के झरने, वृक्षों की लंबी लंबी जड़ों से बने आकर्षक पुल जो आपको आश्चर्यचकित कर डालेंगे।

मावल्यान्नांग के लोग इस बात की मिसाल हैं कि, कैसे अपने वातावरण को साफ रखा जाता है। यहां आपको जगह-जगह पर बांस से बने कूड़ेदान मिल जाएंगे।

यहां के लोग कूड़े को भी जाया नहीं जाने देते। ज़मीन में गड्ढा कर कूड़े को डालकर उसे खाद बना दिया जाता है जिसे खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

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