एक बार फिर अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में उतारे अपने जंगी जहाज…

नई दिल्ली : अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत ने रविवार को दक्षिण चीन सागर में ‘फ्रीडम ऑफ नेविगेशन’ ऑपरेशन किया है. अमेरिका-चीन के मध्य जारी ट्रेडवॉर के बीच अब अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपना जंगी जहाज उतार दिया है। जहां विश्व की सबसे बड़ी दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच वर्षों से जारी तनाव अब और गंभीर होने जा रहा है।

 

जहाज

 

बता दें की अमेरिकी सेना ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में स्कारबोरो शोआल के पास अमेरिका ने युद्ध पोत की तैनाती की है। जहां अमेरिका की इस पहल के बाद अब चीन की त्योंरियां चढ़नी तय हैं। वहीं स्कारबोरो शोआल वह समुद्री इलाका है जिस पर चीन ही नहीं बल्कि फिलिपींस और ताइवान भी अपना कब्जा जताते रहे हैं।

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लेकिन इस पर अमेरिकी नौसेना का कहना है कि कदम वैश्विक नियमों के तहत ही उठाए गए हैं. यह किसी भी तरह की चुनौती नहीं है. हालांकि यह दूसरी बार है जब अमेरिका की सेना ने दक्षिण सागर में जहाज उतारे हैं। जहां इस पर अमेरिकी नौसेना का कहना है कि फ्रीडम ऑफ नेविगेशन का मकसद विवादित भूमि पर विश्व भर का ध्यान दिलाना जरूरी है।

देखा जाये तो इस जलमार्ग पर अमेरिका का हमेशा से मानना रहा है कि मुक्त व्यापार के तहत विश्व के सभी देशों को इस मार्ग का इस्तेमाल करने का हक है।  लेकिन किसी देश का इस जलमार्ग पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए।

अमेरिका एशिया के शक्तिशाली देश चीन की इस इलाके में दावेदारी पर आपत्ति जताती रही है. चीन की इस जलमार्ग पर हमेशा से रुख रहा है कि यह जलमार्ग सभी के लिए न खुला रखा जाए. इस जलमार्ग पर जापान समेत सभी दक्षिण-एशियाई देश आवाजाही जारी रखना चाहते हैं.

देखा अजय तो  इसी बीच भारत और सिंगापुर की नौसेनाओं ने रविवार को दक्षिण चीन सागर में द्विपक्षीय अभ्यास किया. यह अभ्यास 22 मई तक चलेगा. भारतीय नौसेना ने अपने समुद्री गश्ती विमान पोसीडॉन-81 के साथ इस अभ्यास में हिस्सा लिया हैं।

दरअसल सिंगापुर की ओर सक आएसएन जहाजों- स्टीडफास्ट और वैलिएंट ने समुद्री गश्ती विमान फोकर-50 और एफ-16 लड़ाकू विमान के साथ इस अभ्यास में भाग लिया हैं। लेकिन दक्षिण चीन सागर में कई देश अपनी दावेदारी करते हैं और वहां चीनी नौसेना अपना दबदबा बनाने का प्रयास करती है।

 

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