राजनाथ ने कांग्रेस को सुराख वाली नाव कहा, कांग्रेसियों ने किया बहिष्कार
नई दिल्ली | केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि कांग्रेस सुराख वाली नाव है और उसका डूबना निश्चित है। इस पर कड़ी आपत्ति करते हुए सदन में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में गुस्साए सदस्यों ने लोकसभा का बहिष्कार किया। सिंह ने कांग्रेस पार्टी की तुलना उस नाव से की, जिसमें छेद हो। उन्होंने कहा, जिस नाव में छेद है..उसका डूबना तय है।
गृहमंत्री की यह टिप्पणी तब आई, जब लोकसभा में हंगामे वाला दृश्य उत्पन्न हो गया। कांग्रेस के सदन के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर कांग्रेस के नेतृत्ववाली उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया।
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लगे सरकार विरोधी नारे
कांग्रेस सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, के. सी. वेणुगोपाल और सुष्मिता देव ने सरकार विरोधी नारे लगाए और खड़गे सत्ता पक्ष की तरफ एक पेपर लहराते दिखे। संभवत: वह यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि सर्वोच्च न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर खुद फटकार लगाई है।
कांग्रेस के सदस्यों ने ‘प्रधानमंत्री जवाब दो’ के नारे भी लगाए। इससे पहले खड़गे के आरोपों का जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों राज्यों में जो राजनीतिक गतिविधियां हुईं, वे कांग्रेस पार्टी के आंतरिक संकट की वजह से हुईं।
शून्यकाल के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के संदर्भ में इस मुद्दे को उठाते हुए खड़गे ने आरोप लगाया कि गैर भाजपा सरकारों को अस्थिर करना नरेंद्र मोदी सरकार की आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश इन लोगों के लिए एक सबक के रूप में होना चाहिए।
संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार सहित भाजपा के कई सांसदों ने इस पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि खड़गे द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां सदन की कार्यवाही से हटाई जानी चाहिए। खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की तरह भाजपा हिमाचल प्रदेश और मणिपुर की सरकारों को भी गिराने की कोशिश कर चुकी है।
इसका जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस आरोप से इनकार किया। सिंह ने कहा, “हम पर आरोप लगाने की जगह उन्हें जानना चाहिए कि आजादी के बाद से ही यदि कोई पार्टी राज्य सरकारों को गिराने के लिए एकमात्र जिम्मेदार है तो वह कांग्रेस है। आजादी के समय से ही कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकारों को गिराया है और यह 105 बार राष्ट्रपति शासन लगा चुकी है।”
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था और ऐसा होना ‘स्वस्थ लोकतंत्र’ के लिए अच्छा नहीं है। सिंह ने जोर देकर कहा कि इन दोनों राज्यों में जो कुछ हुआ, वह सब कांग्रेस के अंदरूनी संकट की वजह से हुआ।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “हम लोगों का उससे कोई लेना-देना नहीं था। उत्तराखंड संकट तब शुरू हुआ था, जब कांग्रेस के नौ विधायक विधानसभा में खड़े हुए और कहा कि वे अपनी ही सरकार का विरोध करते हैं।”
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इसी तरह से अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के लगभग दो तिहाई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी और नई सरकार गठित करने के लिए एक नया गुट बना लिया। कांग्रेस को सुराख वाली नाव से तुलना करते हुए सिंह ने कहा कि इस तरह की नाव के डूबने के लिए पानी को दोषी ठहरान व्यर्थ है।
कांग्रेस के सदस्य सिंधिया और खड़गे ने उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की स्थिति पर चर्चा के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस भी दिया था। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इसे सदस्य शून्यकाल के दौरान उठा सकते हैं।