कांग्रेस ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला, आरोप लगाते हुए कि पिछले 11 वर्षों से देश में अघोषित आपातकाल लागू है। पार्टी ने दावा किया कि भारतीय लोकतंत्र पर व्यवस्थित और खतरनाक तरीके से हमले हो रहे हैं, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन, नफरती भाषणों को बढ़ावा, और अल्पसंख्यकों व हाशिए पर पड़े वर्गों पर अत्याचार शामिल हैं।

यह बयान 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर आया, जब बीजेपी ने इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया।
जयराम रमेश का बयान
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक प्रेस बयान में कहा कि सरकार के आलोचकों को बदनाम किया जा रहा है, और सत्ता में बैठे लोग नफरत और कट्टरता फैला रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन हो रहा है, अल्पसंख्यक डर में जी रहे हैं, दलित और अन्य हाशिए के वर्गों पर निशाना साधा जा रहा है, और नफरती भाषण देने वाले मंत्रियों को पुरस्कृत किया जा रहा है।”
रमेश ने प्रदर्शनकारी किसानों को ‘खालिस्तानी’ और जाति जनगणना की मांग करने वालों को ‘शहरी नक्सली’ कहे जाने की निंदा की। उन्होंने इसे “लोकतंत्र पर पांच दिशाओं से हमला” करार देते हुए कहा कि यह अघोषित आपातकाल 1975 के आपातकाल से कहीं अधिक खतरनाक है।
अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा कि इंदिरा गांधी ने संवैधानिक प्रावधानों के तहत आपातकाल लगाया था, और इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ कहना गलत है। उन्होंने दावा किया कि इंदिरा गांधी लोकतंत्र की रक्षक थीं, जिन्होंने जोड़-तोड़ या धनबल से सत्ता हासिल करने की बजाय जनता का सामना किया। राउत ने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 11 साल से देश में अघोषित आपातकाल है, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है।
सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने 1975 के आपातकाल को “दूसरा स्वतंत्रता संग्राम” का दौर बताया, जिसमें वे स्वयं सक्रिय थे। उन्होंने कहा कि उस समय प्रेस पर सेंसरशिप थी, और लोग बोल या लिख नहीं सकते थे। चौधरी ने वर्तमान स्थिति को उससे मिलती-जुलती बताते हुए कहा कि आज भी सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर मनगढ़ंत मुकदमे चलाए जा रहे हैं, और सच्ची राजनीतिक स्वतंत्रता का अभाव है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों की अवहेलना का आरोप लगाया।
कांग्रेस और विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यकों और हाशिए के वर्गों के दमन, और नफरती भाषणों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, बीजेपी ने 1975 के आपातकाल को लोकतंत्र पर हमला बताकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की।