मिर्जापुर में पूरे जोश से मनाया गया अंतराष्ट्रीय योग दिवस, सबने बढ़ चढ़कर लिया हिस्सा

Report- राजन गुप्ता/मिर्जापुर

योगा कहां से आया इसका कोई इतिहास तो नहीं है। भगवान शंकर यानी कि शिव जी को योगी आदियोगी माना जाता है.  जिन्होंने हजारों साल पहले हिमालय के कांति झील के किनारे योग की शिक्षा सप्त ऋषि को दी थी और इन्होंने  इसे  पूरे विश्व में फैलाया। इस प्रकार भगवान शिव प्रथम योग गुरु माने जाते हैं.

रेत पर योगा

भारत में योग का प्रमाण 3000  ईसा पूर्व की  सिंधु घाटी सभ्यता के समय मैं प्रचलित मुहरों और मूर्तियों में देखने को मिला है । इसका वर्णन भारत के अलग – अलग वेदों , पुराणों और महाभारत में भी मिलता है । परंतु यह अलग-अलग विभाजित थे .

200 ईसापूर्व महर्षि पतंजलि ने वेदों और पुराणों में अलग-अलग बिखरे हुए यह विद्या को एक सूत्र में पिरोकर इनका सही-सही वर्गीकरण किया जिसके बाद से देश में योगा का प्रचलन बढ़ा और आश्रम तथा पीठों की स्थापना की जाने लगी जहां पर लोगों को योग की भी शिक्षा दी जाती थी.

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इस प्रकार योग का भारत से प्राचीन काल से ही नाता  रहा है। योग की महत्ता को सिर्फ भारत ही नहीं विदेश के लोगों ने भी समझा है इसीलिए वर्ष 2014 से  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से 21 जून विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है ।

आज सूर्य की पहली किरण के साथ ही मिर्जापुर में गंगा के बीच में जुटे हजारों योगा प्रेमियों ने एक साथ किया यह योग । इस योगा में  छोटे बच्चों से लेकर  बड़े बूढ़ों ने  हिस्सा लिया ।

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