भारत ने रचा इतिहास, चीन-रूस-जापान को पीछे छोड़ पहुंचा अमेरिका के बराबर
बेंगलूरु। भारत ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। जापान, रूस और चीन को पीछे छोड़कर भारत अमेरिका के बराबर पहुंच गया है। सेटेलाइट्स की प्रक्षेपण लागत में भारी कटौती के लिए पुन: उपयोगी प्रक्षेपण यान (आरएलवी) विकसित करने में जुटे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने रविवार को एयर ब्रीथिंग प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण किया।
भारत ने रचा इतिहास
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दो चरणों वाला तीन टन वजनी भारी साउंडिंग रॉकेट आरएच-560 सुपरसोनिक कम्बशन रैमजेट (स्क्रैमजेट) ने इंजन के साथ उड़ान भरी। इसी उड़ान के दौरान पांच सेकेंड के लिए इंजन में दहन पैदा कर इस परीक्षण को पूरा किया गया। इस टेस्ट के साथ ही भारत ने अमेरिका के नासा की बराबरी कर ली है और जापान-चीन-रूस को पीछे छोड़ दिया है।
इसरो के निदेशक (जनसंपर्क) देवी प्रसाद कार्णिक ने बताया कि स्क्रैमजेट इंजन विकसित करने की दिशा में यह पहला प्रयोग है। यह अभी छोटा कदम है और इसमें अभी कई परीक्षण किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस इंजन का विकास स्वदेशी पुन: उपयोगी प्रक्षेपण (आरएलवी) के लिए किया जाएगा। इसरो ने स्वदेशी स्पेस शटल आरएलवी टीडी का पहला परीक्षण इसी साल 23 मई को किया था। अब इसरो अगली कड़ी में एयर ब्रीथिंग प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण करने जा रहा है।