आखिर क्यों गणेश जी पर नहीं चढ़ाई जाती तुलसी… वजह जानकार हो जाएंगे हैरान  

भगवान गणेश और तुलसीहिन्दू धर्म में कई देवी देवताओं की प्रेम कहानियों की गाथाएं आपने सुनी होंगी लेकिन एक कथा ऐसी भी है जो शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गयी थी। इस कहानी को शायद ही आपने सुना होगा। जी हां, ये कहानी है भगवान गणेश और तुलसी की। इसमें विघ्नहर्ता माने जाने वाले गणेश जी और तुलसी के बीच ऐसा कुछ हुआ जिसकी वजह से उन्होंने तुलसी को श्राप दे दिया था।

भगवान गणेश और तुलसी

कथा कुछ यूं है। एक दिन तुलसी नदी किनारे घूम रही थीं। वहां उन्‍होंने एक व्‍यक्ति को तपस्‍या में लीन देखा। वह भगवान गणेश थे। तपस्‍या के कारण एक तेजस्‍वी ओज उनके मुख पर था, जिससे तुलसी उनकी ओर आकर्षित हो गईं।

वे उनके पास गईं और उनके सामने विवाह का प्रस्‍ताव रखा। पर गणेश जी ने बड़ी शालीनता से उनके प्रेम प्रस्‍ताव को अस्‍वीकार कर दिया। उन्‍होंने कहा कि वे उस कन्‍या से विवाह करेंगे, जिसके गुण उनकी मां पार्वती जैसे हों। यह सुनते ही तुलसी को क्रोध आ गया। उन्‍होंने इसे अपना अपमान समझा और गणेश जी को श्राप दिया कि उनका विवाह उनकी इच्‍छा के विपरीत होगा। उन्‍हें कभी मां पार्वती के समतुल्‍य जीवनसंगिनी नहीं मिलेगी।

यह सुनते ही गणेश जी को भी क्रोध आ गया। उन्‍होंने भी तुलसी को श्राप दिया कि उनका विवाह एक असुर के साथ होगा। इसके बाद तुलसी को अपनी गलती का आभास हुआ। उन्‍होंने गणेश जी से माफी मांगी। गणेश जी ने उन्‍हें माफ करते हुआ कहा कि वे एक पूजनीय पौधा बनेंगी। पर उनकी पूजा में तुलसी का कभी प्रयोग नहीं किया जाएगा। बाद में तुलसी का विवाह शंखचूड़ नामक असुर से हुआ, जिसे जालंधर के नाम से भी जाना जाता है।

LIVE TV