3 इडियट्स में फुन्सुक वांगडू का किरदार इस शख्स की जिन्दगी पर आधारित, अब मिलेगा रोलेक्स अवॉर्ड

फुन्सुक वांगडूश्रीनगर। आज से सात साल पहले रिलीज हुई फिल्म 3 इडियट्स का लुत्फ़ सबने उठाया। यह फिल्म जितनी ही अच्छी थी उतना ही अनोखा इसका मुख्य किरदार फुन्सुक वांगडू था। इसे अभिनेता आमिर खान ने बखूबी निभाया। इस किरदार के चलते ही फिल्म ने दर्शकों की खूब तारीफें बटोरी और काफी लम्बे समय तक लाइम लाइट में भी रही। लेकिन आप को जानकार हैरानी होगी की इस कहानी में फुन्सुक वांगडू का किरदार जिसे आमिर ने निभाया था किसी कल्पना की पैदाइश नहीं बल्कि एक असल जिन्दगी पर आधारित था। यह कहानी जिस शख्स को लेकर बनाई गयी थी, उनकी कहानी इस फिल्म से कहीं ज्यादा रोचक है। बता दें इस शख्स का नाम है सोनम वांगचुक है, जिनकी प्रतिभा ने निर्देशक राजकुमार हिरानी को उनकी जिन्दगी पर फिल्म बनाने पर मजबूर किया। साथ ही पूरी दुनिया को भी इनके बारे में जानने के लिए विवश कर दिया है। जी हां, जल्द ही इन्हें रोलेक्स अवार्ड से नवाजा जाएगा।

फुन्सुक वांगडू नहीं सोनम वांगचुक कहिए जनाब

ख़बरों के मुताबिक़ वांगचुक का चयन रोलेक्स अवॉर्ड के लिए हुआ है। यह अवॉर्ड दुनियाभर से कुल 140 लागों को दिया जाना है।

वांगचुक प्रतिभावान बच्चों जिन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाता है, उनके सपने पूरे करने का काम कर रहे हैं। वह शिक्षा और पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। पिछले 20 वर्षों से वह दूसरों के लिए पूरी तरह समर्पित होकर का काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए एजुकेशनल ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) नाम का संगठन बनाया है।

बचपन में वांगचुक सात साल तक अपनी मां के साथ एक रिमोट लद्दाखी गांव में रहे। यहां उन्होंने कई स्थानीय भाषाएं भी सींखीं। बाद में जब उन्होंने लद्दाख में शिक्षा के लिए काम करना शुरू किया तो उन्हें अहसास हुआ कि बच्चों को सवालों के जवाब पता होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी भाषा की वजह से होती है। इसके बाद उन्होंने स्थानीय भाषा में ही बच्चों की शिक्षा के लिए कवायद करनी शुरू की।

जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर उन्होंने लद्दाख के स्कूलों में पाठ्यक्रम को यहां की स्थानीय भाषा में करने का काम किया। 1994 में उन्होंने स्कूलों से बाहर कर दिए गए कुछ स्टूडेंट्स को इकट्ठा करके 1,000 युवाओं का संगठन बनाया और उनकी मदद से एक ऐसा स्कूल बनाया जो स्टूडेंट्स द्वारा ही चलाया जाता है और पूरी तरह सौर ऊर्जा से युक्त है। वांगचुक चाहते हैं कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में बदलाव हो। उनका मानना है कि किताबों से ज्यादा स्टूडेंट्स को प्रयोग पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

रोलेक्स अवॉर्ड इससे पहले अरुण कृष्णमूर्ति को भी मिल चुका है। उन्होंने अपने एनजीओ के माध्यम से पर्यावरण के लिए काम किया। झीलों को बचाने के लिए उनके सराहनीय काम की वजह से उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया था। सोनम वांगचुक कई समस्याओं के बावजूद लोगों की भलाई के लिए और शिक्षा के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वह आधुनिक शिक्षा का मॉडल रखने की लगातार कोशिश कर रहे हैं और काफी हद तक इसमें सफल भी हुए हैं।

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