प्रचंड के संविधान में बदलाव संबंधी रुख पर विपक्ष तैयार नहीं

प्रचंडकाठमांडू| नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड मुश्किल में फंस गए हैं। अगले कुछ दिनों में वह संविधान में दूसरे संशोधन के लिए विधेयक पेश करने की तैयारी में हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है।

नेपाली टाइम्स की खबर के अनुसार, देश इस हफ्ते शांति समझौते की 10वीं वर्षगांठ मना रहा है। प्रचंड ने मधेसी दलों को इस समय उनकी मांगें पूरी करने का भरोसा दिया है लेकिन वे उनके वादे से संतुष्ट नहीं हैं।

नेपाली संसद की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल ने प्रधानमंत्री को कह दिया है कि वह विधेयक का समर्थन नहीं करेगी।

प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) की सरकार में साझीदार नेपाली कांग्रेस भी प्रचंड की बेचैनी बढ़ाए हुए है। लेकिन प्रचंड ने इस हफ्ते कहा है कि वह इस काम को लेकर बोझ नहीं महसूस करते हैं।

प्रचंड की पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बोध राज उपाध्याय ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष प्रचंड का करिश्मा समाप्त हो चुका है। पार्टी के कैडर हताश हो गए हैं और हमारी पार्टी टूट की कगार पर है। उन्हें साहसी और तेजी से कदम उठाने की जरूरत है। यदि वह सफल होते हैं तो इससे हमारी पार्टी बचेगी और उनका राजनीतिक करियर पूर्व स्थिति में आ जाएगा।

प्रचंड संघीय सीमाओं को दुरुस्त करने, देश के नागरिक बने लोगों के अधिकारों पर लगे प्रतिबंधों को नरम करने, संसद में समानुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने और सरकारी भाषाओं को मान्यता देने के चार संशोधनों के जरिए संविधान को व्यापक रूप से स्वीकार्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

सीपीएन-यूएमएल हालांकि प्रधानमंत्री के इन प्रस्तावों का विरोध कर रही है। उसका कहना है कि ये नेपालियों के हित में नहीं है और यह एक विदेशी हाथ के इशारे पर है।

संघीय गठबंधन ने संशोधन विधेयक को खारिज कर दिया है और यहां तक कि मधेसी मोर्चा भी इसके प्रति उदासीन है।

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