शिवम यादव
लखनऊ। आज के समय में पर्यावरण की सुरक्षा कितना बड़ा मुद्दा है इस बात की जानकारी तो सभी को होगी, लेकिन प्रकृति को नुकसान पहुँचाने वाले थर्माकोल और प्लास्टिक से अगर हम पर्यावरण को साफ़-सुथरा रखने का तरीका बताए तो…
अगर आप अपने घर को नए अंदाज में डेकोरेट करना चाहते हैं, तो प्लास्टिक की बेकार बोतलें आपके बहुत काम आ सकती है। अगर आप रंग-बिरंगी बोतलों को डेकोरेटिव आइटम के रूप में कमरों मे सजा देते है तो ये देखने में भी अच्छी लगती है और आपके पैसे भी बच जाते हैं।
इस बात का एक उदहारण लखनऊ में ANकेन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव ने पेश किया है। डॉ. संजीव ने बेकार बोतलें को इधर-उधर फेंकने की बजाए इनसे पूरा का पूरा बगीचा बना डाला। इस बगीचे की ख़ूबसूरती तो देखते ही बनती है।
डॉ. संजीव ने तो अपने घर की छत पर ही थर्माकोल के डिब्बों में सब्जी उगाने की क्यारियां बना रखी है और प्लास्टिक की बोतलों में बने गमलों में पक्षियों के लिए घोंसले भी बनाए है।
डॉ. संजीव ने जिस प्रकार इधर-उधर पड़े बेकार प्लास्टिक और थर्माकोल से काम निकाला है उससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा और उनका भी काम हो गया।
कैसे आया आईडिया
एक बार डॉ. संजीव के घर में 150 कोल्ड्रिंक की बोतले आई। इसके बाद जब बोतलें खाली हुई तो उन्होंने इन्हें फेंका नहीं। क्योंकि प्लास्टिक कभी गलता नहीं इसलिए उन्होंने इंटरनेट पर इनके वैकल्पिक इस्तेमाल के तरीके खोजे।
इंटरनेट पर डॉ. संजीव को बहुत कुछ मिला लेकिन उन्हें सबसे सहज तरीका बागवानी लगा। इसके बाद उन्होंने इन बोतलों का इस्तेमाल वर्टिकल गार्डेनिंग में शुरू कर दिया। फिर कुछ समय बाद इस प्लास्टिक कचरे से डॉ. संजीव ने कमाल कर दिखाया और थर्माकोल के बेकार डिब्बों में केमिकल फ्री सब्जियां उगा ली।
डॉ. संजीव इन कृत्रिम गमलों में भिंडी, लौकी, सेम, धनिया, मिर्चा, नींबू जैसी कई सब्जियां उगाते हैं। डॉ. संजीव इनके उत्पादन में कोई भी केमिकल इस्तेमाल नहीं करते।
डॉ. संजीव का कहना है कि वो अपनी कॉलोनी में लोगों को इन डिब्बों में उगाई सब्जियां मुफ्त में देते हैं ताकि और लोग ऐसी बागवानी के लिए प्रेरित हों।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने गार्डेनिंग शुरू की तब धीरे-धीरे इन बोतलों में लगे छोटे पौधों के बीच गौरैया, हमिंग बर्ड और फाख्ता आदि पक्षी अपने घोंसले बना लिए। उन्हें भी ये सब बहुत पसंद आया और अब वे रोजाना इन पक्षियों के दाने-पानी का इंतजाम करते है।