दिल्ली एयरपोर्ट पर फंसे जर्मन नागरिक ने याद दिलाई टॉम हैंक्स की फिल्म ‘द टर्मिनल’ की…
कोरोना वायरस के दुनियाभर में फैलने से लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था. बाहर से कोई देश में न आ सकता था, न यहां से कोई बाहर जा सकता था. ऐसे में कई लोग जहां थे वहीं रह गए और अपने घरों को जाने के लिए तरस गए. कोरोना की वजह से देशभर की सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द हो गई थीं. ऐसे में एक जर्मन नागरिक जो भारत आया था पिछले 55 दिन से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे(आईजीआई) के ट्रांजिट क्षेत्र में फंस गया था. हालांकि आज(12 मई) सुबह वह केएलएम फ्लाइट के जरिए एम्सटर्डम के लिए रवाना हो गया है. इस घटना के सामने आने के बाद से ही हॉलीवुड फिल्म ‘द टर्मिनल’ की चर्चा होने लगी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल 40 वर्षीय जर्मन नागरिक एडगार्ड जीबत ने पहले अपने देश जाने के ऑफर को ठुकरा दिया था। उसे अधिकारियों ने भारत छोड़ने का नोटिस भी जारी कर दिया था। उसने कहा था कि वह भारत तब छोड़ेगा, जब भारत अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू कर देगा। बता दें कि जीबत 18 मार्च को ट्रांजिट पैसेंजर के रूप में हनोई से भारत आया था और उसे यहां से इस्तांबुल जाना था। याद दिला दें कि 18 मार्च, वो दिन था जब भारत ने तुर्की जाने वाली सभी उड़ानें बैन कर दी थीं ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। चार दिन बाद भारत से उड़ने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी गईं। भारत में फंसे जीबत न ही भारत से बाहर जा सके न ही ट्रांजिट एरिया से बाहर जा सके, क्योंकि उनके पास भारत का वीजा नहीं था। वहीं जर्मन दूतावास ने जीबत को जर्मनी वापस जाने का भी प्रस्ताव दिया था लेकिन उसने मना कर दिया था।
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चर्चा में आ गई है फिल्म द टर्मिनल
दिल्ली में हुए इस वाकये के कारण फिल्म ‘द टर्मिनल’ चर्चा में आ गई है। बात फिल्म की करें तो स्टीवन स्पीलबर्ग निर्देशित द टर्मिनल वर्ष 2004 में रिलीज हुई थी। फिल्म में टॉम हैंक्स ने विक्टर नामक मुख्य किरदार निभाया था। फिल्म की कहानी एक ऐसे शख्स के बार में थी जिसको लंबा वक्त अमेरिका के एयरपोर्ट पर बिताना पड़ता है। क्योंकि उसके देश (Krakozhia) से बाहर निकलते ही देश में तख्तापलट हो जाता है। ऐसे में विक्टर को अमेरिका के अंदर जाने की इजाजत नहीं मिलती, वहीं उसके खुद के देश जाने के सभी रास्ते बंद हो चुके होते हैं। इस समस्या की वजह से विक्टर को लंबे वक्त तक एयरपोर्ट पर ही रहना पड़ता है। बता दें कि फिल्म 18 जून 2004 को रिलीज हुई थी। वहीं आप इस फिल्म को अमेजन प्राइम पर देख सकते हैं।
सच्ची घटना पर थी आधारित
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये फिल्म मेहरान करीमी नासेरी नामक ईरानी शरणार्थी की सच्ची घटना पर आधारित थी। रिपोर्ट के मुताबिक मेहरान के कुछ जरूरी दस्तावेज चोरी हो गए थे, जिसकी वजह से पेरिस के चार्ल्स द गॉल एयरपोर्ट के टर्मिनल एक पर मेहरान को, 1988 से 2006 के बीच लगभग 17 साल तक रहना पड़ा था।