कोल्हापुर की रोमांचक सैर के लिए हो जाए तैयार, कर लें अभी से तैयारी
कोल्हापुर, महाराष्ट्र का एक मशहूर शहर, अपने रंग-बिरंगे परिधान और चप्पलों के साथ-साथ और भी कई चीज़ों के लिए मशहूर है। यहां के खाने-पीने से लेकर घूमने-फिरने की जगहों तक, सब कुछ बहुत खास है। यहां आने वाले पर्यटकों का दिल भरता नहीं यहां की संस्कृति की खूबसूरती को देख कर। महाराष्ट्र के इस सुंदर शहर में आपको बहुत सी चीज़े आकर्षक लगेंगी। कोल्हापुर एक प्राचीन शहर है जिसपर कई साल पहले भोसले छत्रपति का शासन था। तो चलिए जानते हैं क्या है इस प्राचीन शहर में पर्यटकों के लिए खास।
खाना, जो ज़रूरी है खाना
जगह कोई भी हो लेकिन ट्रिप को यादगार बनाने के लिए उस जगह का सबसे मशहूर और लज़ीज़ खाना ट्राय करना कभी ना भूलें। और बात जब कोल्हापुर की हो ही रही है तो कोई यहां के मीसल को कैसे भूल सकता है भला। महाराष्ट्र की ये मशहूर डिश कई तरीके की होती है- फडतरे मिसळ, खासबाग मिसळ, बावडा मिसळ और भी बहुत कुछ। ये तो रही शाकाहारी खाने की बात, अब नॉन-वेज में यहां क्या है खाने के लिए ये जान लें। तांबडा रस्सा (मटन से बनी एक डिश), मटन का अचार और कीमा राइस बॉल्स, कोल्हापुर के मांसाहारी व्यंजनों में सबसे मशहूर है। कोल्हापुर आने वाला हर शक्स इनका स्वाद चखना नहीं भूलता।
आज का राशिफल, 07 दिसंबर 2018, दिन- शुक्रवार
कोल्हापुरी साज
श्वेता कोकाटे कोल्हापुरी साज एक तरह का गले में पहनने वाला आभूषण है। ये एक पांपरिक गहना है जिसे पहनने की शुरुआत सदियों पहले कोल्हापुर से हुई थी और अब महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में भी इसे खूब पसंद किया जाता है। पारंपरिक रूप से तो ये इसमें 21 पत्तियां (पेंडेंट) होती हैं लेकिन महिलाएं इसे रोज़मर्रा में पहनने के लिए सिर्फ 10 या 12 ही पत्तियों का ही बनवाती हैं। ये आभूषण बहुत सुंदर दिखता है। इसका डिज़ाइन पर्यटकों को बहुत लुभाता है इसलिए अक्सर पर्यटक इसके डिज़ाइन जैसा ही आर्टिफिशियल नेकलेस बनवा लेते हैं।
दाजिपुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी
दाजिपुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी कोल्हापुर की वन्य जीवन को दर्शाता एक बहुत सुंदर पर्यटन स्थल है। जहां दिनभर शहर के प्रदूषित वातावरण में सांस लेना भी दूभर हो जाता है, ऐसे में यहां आकर आप खुली हवा में ना सिर्फ सांस ले सकते हैं बल्कि जंगली जन-जीवन को इतने करीब से देखने का मौका भी मिलेगा। दाजिपुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी सुबह 10:00 बजे से शाम पांच बजे तक खुली रहती है। सैंक्चुअरी में प्रवेश करने के सिर्फ 30 रुपये लगते हैं लेकिन अगर आप अंदर घूमने के लिए कोई जीप या गाड़ी लेते हैं तो इसके लिए आपको अलग से एक व्यक्ति के 100 रुपये देने पड़ेंगे।
कोल्हापुरी चप्पल कोल्हापुर का नाम सुनते ही सबसे पहले ज़हन में यहां की मशहूर चप्पलों का ख्याल आता है।
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कोल्हापुरी चप्पलें
भारत में ये चप्पलें आपको बहुत आसानी से मिल जाती हैं। चमड़े से बनी ये चप्पलों को मशीनों से नहीं, बल्कि हाथों से बनाया जाता है। विविधता और आकर्षण को ध्यान में रखते हुए इन चप्पलों को रंगा जाता है। कोल्हापुरी चप्पल बनाने वाले अपनी इस कला को विरासत के रूप में अपनी अगली पीढ़ी को सौंप जाते हैं। कोल्हापुरी चप्पलें बहुत से प्रकार की होती है जैसे, रोज़ मर्रा में पहनने वाली साधारण चप्पल, पार्टी में पहनने के लिए कई तरह की सैंडल और जूतियां। पर्यटक चाहे भार्तीय हो या विदेशी, ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोल्हापुर आने आएं और इनमें से किसी कोई भी चप्पल ना खरीदे।