भुवनेश्वर। केन्द्र सरकार देश के शहरों और गांवों को स्मार्ट बनाने की बात करती है। तमाम तरह के विकास के दावे किए जाते हैं लेकिन ओडि़शा राज्य की दो तस्वीरों ने न सिर्फ इंसानियत को तार तार कर दिया बल्कि 21 वीं सदी के उभरते भारत पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। पहली तस्वीर ने जहां ओडि़शा की सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोल दी तो दूसरी तस्वीर ने पूरी इंसानियत को ही सवालों के घेरे में ला दिया।
बुधवार को कालाहांडी का एक आदिवासी शख्स पत्नी की लाश को कंधे पर ले जाता दिखा क्योंकि उसके पास गाड़ी वाले को देने के लिए पैसे नहीं थे और अस्पताल ने भी कोई व्यवस्था करने से मना कर दिया था।
वहीं गुरुवार को कुछ अस्पताल कर्मचारी एक महिला की लाश पर चढ़े नजर आ रहे हैं और उसकी हड्डियां तोड़ते दिखते हैं। इसके बाद लाश को मोड़कर पोटली की शक्ल देते हैं औऱ फिर उसे बांस से लटकाकर चलते नजर आते हैं।
जानकारी के मुताबिक 80 वर्षीया विधवा सलमानी बेहड़ा की बालासोर जिले में बुधवार सुबह सोरो रेलवे स्टेशन के नजदीक मालगाड़ी के नीचे आ जाने से मौत हो गई। उसकी लाश को सोरो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर ले जाया गया।
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) को घटना की जानकारी दे दी गई थी, फिर भी कर्मचारी करीब 12 घंटे बाद शाम को अस्पताल पहुंचे। लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए बालासोर जिला ले जाना जरूरी था, लेकिन वहां कोई एंबुलेंस मौजूद नहीं थी।
इस बारे में सोरो जीआरपी के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर प्रताप रुद्र मिश्रा ने बताया कि उन्होंने एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर को लाश रेलवे स्टेशन ले जाने के लिए कहा था, ताकि उसे ट्रेन से बालासोर भेजा जा सके।
मिश्रा के मुताबिक, ऑटो ड्राइवर ने 3,500 रुपए मांगे जबकि हम ऐसे काम के लिए 1,000 से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते। मेरे पास सीएचसी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के द्वारा लाश ले जाने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था।
देरी होने की वजह से, लाश अकड़ गई थी। इस वजह से कामगारों को लाश बांधने में परेशानी हो रही थी इसलिए उन्होंने कूल्हे के पास से लाश को तोड़ दिया, उसके बाद उसे पुरानी चादर में लपेटा, एक बांस से बांधा और दो किलोमीटर दूर स्थित रेलवे स्टेशन ले गए। उसके बाद लाश को ट्रेन से ले जाया गया।
मृतका के बेटे रबिंद्र बरीक ने बताया कि जब उन्होंने अपने मां की लाश के साथ किए गए व्यवहार के बारे में सुना तो वह आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने कहा, ‘उन्हें थोड़ी और मानवता दिखानी चाहिए थी। मैंने शुरू में पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा करने की सोची, लेकिन हमारी शिकायत पर कार्रवाई कौन करेगा?’
मामले का स्वत: संज्ञान लेने हुए ओडिशा मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष बीके मिश्रा ने गुरुवार को आईजी, जीआरपी और बालासोर जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर कहा है कि वे घटना की जांच के आदेश दें और चार सप्ताह में रिपोर्ट सौंपे।