
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को नीतीश कुमार सरकार द्वारा बिहार में पूरी तरह से मद्य निषेध के निर्णय को देखते हुए आईएमएफएल मैन्युफैक्चर्स को अपने शराब के बचे हुए भंडार को राज्य से बाहर बेचने की अनुमति दे दी। इंडियन मेड फॉरेन लिकर (आईएमएफएल) के गोदामों में पड़े भंडारों को बेचने की अनुमति न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाश पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के 29 मई के निर्णय को संशोधित करते हुए दी, जिसमें बची हुई बीयर के भंडार को बहाने और नष्ट करने का आदेश दिया गया था।
29 मई के निर्णय ने 31 जुलाई तक भंडार को नष्ट करने की समय सीमा को बढ़ाया था। इससे पहले दो महीने का दिया गया समय 31 मई को खत्म हो गया था।
इंडियन अल्कोहल बीवेरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) द्वारा दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने अपने पिछले निर्णय को संशोधित किया। इस याचिका में शराब के बचे हुए भंडार को बिहार से बाहर बेचने की अनुमति देने की मांग की गई थी।
सीआईएबीसी ने पीठ से कहा था कि दो अर्जियां लगाई गईं थीं। एक आईएमएफएल मैन्युफैक्चर्स और एक बीयर निर्माताओं के संघ द्वारा।
जहां आईएमएफएल मैन्युफैक्चर्स ने राज्य से बाहर अपने भंडारों को भेजने के लिए समय मांगा था, वहीं बीयर निर्माताओं ने अपने भंडारों को बहाने और नष्ट करने की अनुमति मांगी थी।
सीआईएबीसी ने कहा कि 29 मई का सर्वोच्च न्यायालय का आदेश बीयर निर्माताओं की याचिका पर तो ध्यान देता है, लेकिन उनकी याचिका पर चुप है।
जब अवकाश पीठ ने अपने 29 मई के निर्णय को संशोधित किया, तो बिहार सरकार के वकील ने कहा कि न्यायालय को यह साफ कर देना चाहिए कि अब और समय नहीं दिया जाएगा।