नवरात्रि 2018: भूल कर भी कभी ना चढ़ाएं माता को ये भोग वर्ना होगा विनाश

आज नवरात्रि का दूसरा दिन बड़े ही उत्साह से मनाया जा रहा है। इन नौ दिनों में माता की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार हर दिन का अलग महत्व है साथ में हर नौ दिन की माता के अलग रूप की पूजा भी की जाती है। देवी को खुश करने के लिए हर दिन अलग-अलग तरह को भोग भी लगाएं जाते हैं। ऐसा करने से माता आपकी सभी परेशानियों को खत्म कर देती है।

नवरात्रि

प्रतिपदा तिथि- नवरात्रि का पहला दिन प्रतिपदा तिथि से आरम्भ होता है। इस दिन माता के पहले स्वरूप मां शैल पुत्री की आराधना की जाती है। प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री को शुद्ध देसी घी का भोग लगाएं। इससे रोगों से मुक्ति मिलती है।

द्वितीया तिथि- इस दिन देवी के ब्रह्राचारिणी रूप की पूजा होती है। द्वितीया तिथि पर देवी को शक्कर और फल का भोग लगाकर दान करें इससे दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

तृतीया तिथि- इस तिथि पर देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है इस दिन दूध से बनी चीजों का भोग लगाने और उसका दान करने से मां प्रसन्न होती है सभी तरह के दुखों का नाश करती हैं।

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चतुर्थी तिथि- नवरात्रि की इस तिथि पर देवी को मालपुए का भोग लगाना चाहिए और प्रसाद को ब्राह्राण को दान करें। इससे बुद्धि और कौशल का विकास होता है साथ ही निर्णय क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

पंचमी तिथि- यह तिथि मां स्कंदमाता को समर्पित होती है। इस दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और दान करना चाहिए इससे बुद्धि का विकास होता है।

षष्ठी तिथि- माता को इस तिथि पर शहद का भोग लगाना चाहिए। इस तिथि पर मधु से पूजन का विशेष महत्व होता है। शहद के भोग से सुंदर काया का निर्माण होता है।

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सप्तमी तिथि- इस तिथि पर भगवती को गुड़ का भोग लगाना चाहिए और उसका दिन ब्राह्राण को करना चाहिए ऐसा करने से व्यक्ति शोक मुक्त होता है।

अष्टमी तिथि- इस तिथि पर मां दुर्गा को नारियल का भोग लगाना चाहिए और इसका दान करना चाहिए। इससे  हर तरह की पीड़ा का शमन होता है। ऐसा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है।

नवमी तिथि- नवमी तिथि पर माता को अलग- अलग तरह के अनाजों से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है और फिर उसे दान किया जाता है। इसे जीवन में सुख और समृद्धि आती है। साथ ही दशमी तिथि को काले तिल का भोग अर्पित कर देने से परलोक का भय नहीं रहता।

 

 

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