क्या है होलिका दहन का महत्व, क्या है इसका शुभ मुहूर्त, जानें

रंग वाली होली को धुलंडी के नाम से जाना जाता है। होली असल में होलिका दहन का उत्सव है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान के प्रति आस्था को मजबूत करने की प्रेरणा देता है। क्योंकि इस दिन भगवान ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। प्रह्लाद को आग में जलाने वाली होलिका इस दिन खुद जलकर भस्म हो गई थी। इसलिए इस पर्व वाले दिन विधि विधान से होलिका दहन किया जाता है। जानते हैं होलिका दहन की पूजा विधि…

होलिका दहन

होलिका दहन पूजा विधि

रंग वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है। जिसकी पूजा के लिए एक लोटा गंगाजल लें अगर ये पास में नहीं है तो स्वच्छ जल, रोली, माला, रंगीन अक्षत, धूप, फूल, गुड़, कच्चे सूत का धागा, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज यानी गेंहू की बालियां और पके चने आदि सामग्रियों को इकट्ठा कर लें। इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है। होलिका दहन के लिए चार मालाएं अलग से रख ली जाती हैं। ये मालाएं मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनाई जाती हैं।

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इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी श्री हनुमान जी के नाम की, तीसरी शीतला माता और चौथी घर परिवार के नाम की रखी जाती है। इसके बाद होली की परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है। ध्यान रखें कि होलिका की परिक्रमा तीन या सात बार करनी चाहिए। इसके बाद शुद्ध जल समेत एक एक सामग्री को होलिका को अर्पित कर देना चाहिए। फिर पंचोपचार विधि से होलिका की पूजा कर उसे जल से अर्घ्य देना चाहिए। होलिका की अग्नि जलाने के बाद उसमें कच्चे आम, नारियल, सतनाज (गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर), चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दी जाती है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन तिथि – 09 मार्च 2020
होलिका दहन मुहूर्त- 18:26 से 20:52 बजे
भद्रा पूंछ- 09:37 से 10:38
भद्रा मुख- 10:38 से 12:19
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 03:03 बजे( 09 मार्च 2020)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 23:17 बजे (09 मार्च 2020)
रंगवाली होली – 10 मार्च 2020

 

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