
हिन्दू धर्म में गणेश जी को विघ्नहर्ता और प्रथम पूजय देव के रूप में जाना जाता है। किसी भी कार्य को करने से पूर्व सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन किया जाता है। गणेश चतुर्थी के अलावा भी एक दिन है जिसमे भगवान श्री गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार संकष्टी व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आती है, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। बहुत से लोग इसे सकट हारा के नाम से भी जानते है।
अगर किसी महीने की संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन को दक्षिण भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत करते है।
भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में संकष्टी चतुर्थी बड़ी श्रद्धा से मनाई जाती है। संकष्टी शब्द का अर्थ है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’। यहाँ संकष्टी गणेश चतुर्थी 2019 की तिथियां दे रहे हैं।
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संकष्टी चतुर्थी के अलग-अलग नाम
भगवान गणेश को समर्पित इस त्योहार में श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाईओं और बुरे समय से मुक्ति पाने के लिए उनकी पूजा-अर्चना और उपवास करते हैं। संकष्टी चतुर्थी को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कई जगहों पर इसे संकट हारा कहते हैं तो कहीं-कहीं सकट चौथ भी। यदि किसी महीने में यह पर्व मंगलवार के दिन पड़ता है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी 6 महीनों में एक बार आती है और इस दिन व्रत करने से जातक को पूरे संकष्टी का लाभ मिल जाता है। दक्षिण भारत में लोग इस दिन को बहुत उत्साह और उल्लास से मनाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जातक को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं।
- इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ।
● व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ़ और धुले हुए कपड़े पहन लें। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है।
● स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें। गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
● सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
● पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी , धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें।
● ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवीकी प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
● गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें।
● संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
● गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें।