श्रद्धा जैसी लड़कियां फिर करे विचार, लक्ष्मण रेखा पार करने पर सीता मैया को भी हुआ था खतरा: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

दिल्ली में आफताब ने अपनी महिला मित्र श्रद्धा के 35 से ज्यादा टुकड़े कर उन टुकड़ों को जंगल में फेंका। इस मामले का जब खुलासा हुआ तो आरोपी के खिलाफ देश भर के लोगो ने रोष जताया और कड़ी सजा की मांग की। मेरठ पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इस घटना पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि श्रद्धा जैसी युवतियों को अगर ये लोग यानी की आफताब जैसे लोग अच्छे लगते हैं तो इस पर फिर से विचार कर लें। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सीता जी का उद्धरण लेते हुए कहा कि लक्ष्मण रेखा खींची गई थी और उनको कहा गया था कि इस रेखा को ना लांघे ताकि उन पर कोई खतरा न आए। उन्होंने कहा कि पूर्वजों ने अपने अनुभव से ही ये प्रथा बनाई थी की अपने धर्म में ही शादी करें।

सोमवार शाम मेरठ के राज राजेश्वरी शंकाचार्य आश्रम पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को भक्तो ने पादुका पूजन किया जिसके बाद दिन ढलते ही उन्होंने मोन धारण कर लिया। मंगलवार सुबह 4 बजे से ही भक्तों का आना शुरू हो गया था और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की 9 बजे तक भक्तो को दर्शन दिए और सनातन धर्म के बारे बताया और भक्तो पर प्रकाश डाला। जिसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने की खास बातचीत की और हरिद्वार के लिए प्रस्थान कर लिया।

बात करते हुए उन्होंने दिल्ली में श्रद्धा के साथ हुई घटना पर दुःख जताया और उन्होंने कहा कि पूर्वज कहते हैं कि अपने धर्म में ही शादी करो क्योंकि उन्होंने कुछ पहले के समय देखा होगा। उन्होंने आगे कहा कि श्रद्धा जैसी लड़कियों अगर आफताब जैसे लोग अच्छे लगते हैं तो एक बार फिर से विचार कर लें। पूर्वजों को बातों को माना जाना चाहिए। मां सीता की बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि लक्ष्मण रेखा खींची थी और उनको कहा था कि इसको लांघे न लेकिन उन्होंने लांघी और उन पर खतरा आया था। ऐसे ही पूर्वजों को बातों को मानना चाहिए ताकि उन पर खतरा न आए।

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