
report- ram anuj bhatt
लखनऊ। बीएसपी के अस्तित्व का आधार कभी दलित मूवमेंट हुआ करता था। लेकिन समय के साथ-साथ यह अब कमजोर पड़ रहा है। मायवती और कांशीराम ने इस मूवमेंट को हवा दी थी। अब बसपा सुप्रिमों के सामने एकबार फिर अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. एक युवा ने अपने दम पर प्रदेश और देश में दलित राजनीति का नया स्वरूप तैयार कर दिया है। जिससे मायवती को लगातार अपनी विरासत को खोने का डर लग रहा है।
प्रदेश में दलितों की मसीहा बनने का जो ओरा बसपा सुप्रिमों ने बना रखा था अब वो समाप्त होता जा रहा है। दिल्ली में संत रविदास के मंदिर को तोड़ने के बाद जिस तरह से भीम आर्मी विरोध दर्ज किया है उससे मायवती को अपने समानंतर एक नया नेता दिख रहा है। जिसके चलते मायावती को अपने दलितवोट बैंक के खोने का डर बना हुआ है। हांलाकि चंद्रशेखर को आज जितनी ख्याती मिल रही है उसकि जिम्मेदार मायावती भी कुछ कम नहीं है। हांलाकि चंद्रशेखर को कई मामलों में मुखरता और जमीन पर विरोध करने की वजह से उन्हें जेल तक जाना पड़ा। दलितों के हक में उनकी जुझारू और लड़ाकू इमेज युवाओं को रोमांचित कर रही है।
दिल्ली के तुगलकाबाद में रविदास मंदिर ढहाए जाने के घटना की निंदा से ज्यादा हिंसा से किनारा करने पर रहा बीएसपी प्रमुख का जोर रहा। राजनीतिक जानकारों का मत- दलितों के हक में उठ रही ‘दूसरी आवाज’ से असहज मायवती को आपने जमीन खिसकती नजर आ रही है। माया को अखर रहे दलितों के हक में नई आवाज बनकर खड़े हुए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर।
दिल्ली के तुगलकाबाद में संत रविदास का मंदिर ढहा दिया गया। इसके खिलाफ आंदोलन हुए तो भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर इसके अगुआ हो गए। बीएसपी प्रमुख मायावती इस घटना पर चुप रहीं। आंदोलन के दौरान हिंसा हुई तो मायावती ने साफ कर दिया कि वह आंदोलन में किसी भी तरह की हिंसा की पक्षधर नहीं हैं। बीएसपी के शांतिपूर्वक प्रदर्शन की वकालत की और हिंसा से बीएसपी को अलग बताया। लेकिन एक भी शब्द उन्होंने घटना की निंदा के लिए नहीं कहा।
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बीएसपी के अस्तित्व का आधार दलित मूवमेंट था। लेकिन समय के साथ-साथ यह अब कमजोर पड़ रहा है। वहीं। दलित मूवमेंट से होते हुए सीधे बीएसपी में आते हैं। वहीं, हाल ही में चंद्रशेखर ने भीम आर्मी की स्टूडेंट विंग (बीएएसएफ) लॉन्च की दलितों की पहली छात्र इकाई के तौर पर यह संगठन दलित युवाओं और छात्रों को बीएसपी से दूर ले जा सकता है । मायावती को यह कभी भी रास नहीं आने जा रहा, यह दोनों में खटास और बढ़ा रहा।