
वाराणसी। पूर्वांचल के बाहुबलियों की ग्रह-दशा कुछ खराब चल रही है। मुख्यमंत्री का विवादित पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बाहुबली बसपा प्रत्याशी विनीत कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। अब पूर्वांचल के एक और बाहुबली विधायक को लेकर जनआक्रोश बढ़ रहा है। यह आक्रोश सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर सकता है।
बाहुबली की कोई जगह नहीं
बीते दिनों कौशांबी में एक जन कार्यक्रम के दौरान बाहुबली अतीक अहमद को मुख्यमंत्री अखिलेश ने धक्का देकर पीछे कर जनता को संदेश देने की कोशिश की थी कि उनके राज में बाहुबलियों की कोई जगह नहीं है। मऊ में फिलहाल जो कुछ चल रहा है उसे जल्द नहीं निपटाया गया तो पूर्वांचल की फिजा बिगड़ सकती है। इसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को उठाना पड़ सकता है। मथुरा कांड के बाद वैसे भी अखिलेश यादव और उनकी सरकार विरोधियों के निशाने पर आ चुकी है।
एक महीने से सुलग रही चिंगारी, अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में लंबे समय से जेल की चहारदीवारी में रह रहे बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के परिजनों पर मऊ में प्राचीन ठाकुर जी के मंदिर से जुड़े ट्रस्ट की संपत्ति पर अवैध तरीके से कब्जा कर उस पर निर्माण कराने का आरोप है।
पिछले एक माह से मऊ में इसको लेकर विरोध चल रहा है। सूत्रों के अनुसार लगभग पचास वर्ष पूर्व कुछ लोगों ने दस्तावेज में हेराफेरी कर मंदिर ट्रस्ट की जमीन हथिया ली और बाद में मुख्तार अंसारी के परिवार को बेच दी। आरोप है कि बीते एक माह से मुख्तार अंसारी के परिजन व समर्थक जबरन उक्त जमीन पर निर्माण करा रहे हैं। ग्रामीणों ने विरोध किया तो असलहे निकल गए। गांव बचाओ मोर्चा से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जब उक्त जमीन के बाबत पुराने दस्तावेजों को निकाला तब सच्चाई सामने आई कि उक्त जमीन ट्रस्ट की है और गलत तरीके से कुछ लोगों ने उस पर अपना नाम चढ़वा लिया था। अधिकारियों के यहां उक्त कागजात प्रस्तुत करने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों ने खास रुचि नहीं दिखाई और लोगों में आक्रोश बढ़ता गया। पंद्रह दिन पूर्व ग्रामीणों ने सिटी मजिस्ट्रेट के कार्यालय के बाहर धरना दिया लेकिन आश्वासन ही मिला।
जिलाधिकारी के यहां जब धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ तो अधीनस्थों के कान खड़े हुए। डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीएम को जांच सौंपी तब जाकर ग्रामीणों ने धरना को इस चेतावनी के साथ समाप्त किया कि यदि ट्रस्ट की संपत्ति पर अब किसी की नजर पड़ी तो वे आंदोलन को मजबूर होंगे। उधर मुख्तार के गुर्गों द्वारा मंदिर की जमीन पर दबंगई से निर्माण की जानकारी हुई तो हिंदूवादी संगठनों में भी आक्रोश भर गया। सूत्रों के अनुसार पूर्वांचल के कई जिलों से हिंदूवादी संगठनों के पदाधिकारी इस समय मऊ में डेरा डाले हैं और हर स्थिति पर नजर रखे हैं। एक पदाधिकारी ने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर अधिकारी पूर्वांचल के इस दबंग विधायक का साथ दे रहे हैं। मंदिर की जमीन पर यदि मुख्तार समर्थकों ने कब्जा करने या अवैध निर्माण की कोशिश की तो अंजाम बुरा होगा। एक तरफ हिंदूवादी संगठनों का आक्रोश दूसरी तरफ बीते दिनों आजमगढ़ में दंगे के बाद मथुराकांड ने वैसे ही खुफिया तंत्र की नींद उड़ा रखी है। जानकारों का कहना है कि समय रहते मऊ प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो पूर्वांचल की फिजा बिगड़ सकती है।