दक्षिण में धूमधाम से मनाया जाता गणेश उत्सव, जानें कहां-कहां क्या है खास…
धर्म में कहा जाता है कि भगवान गणेश को सबसे पहले याद किया जाता है। चाहें वह कोई ङी और किसी भी तरह की पूजा हो लेकिन भगवान गणेश का नाम हमेशा सबसे पहले याद किया जाता है। माना जाता है कि भगवान गणेश के अलग-अलग रूप होते हैं उन्हें जगह के हिसाब से अलग-अलग नामों के याद किया जाता है।
गौरतलब है कि सम्पूर्ण दक्षिण भारत में ही गणेश चतुर्थी को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस दौरान लोग भगवान की मूर्ति को फूलों से सजाते हैं और अपने अपने घरों में रंगोली का निर्माण करते हैं, साथ ही भगवान गणेश के लिए उनके पसंदीदा व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
इसी क्रम में आज अपने इस गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज में हम आपको एक ऐसी वीकेंड ट्रिप पर ले जा रहे हैं जहां एक तरफ आप दक्षिण भारत में मौजूद अलग अलग गणेश मंदिरों के भी दर्शन कर लेंगे तो वहीं दूसरी ओर इन स्थानों की खूबसूरती भी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। अपनी इस वीकेंड ट्रिप की शुरुआत हम केरल के कासरगोड से करेंगे और अंत कर्नाटक के मैंगलोर में। तो आइये अब देर किस बात कि इस आर्टिकल के जरिये जाना जाये कि कैसे आप एक परफेक्ट लॉन्ग वीकेंड के अलावा दक्षिण भारत में मौजूद अलग अलग गणेश मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं।
कासरगोड
कासरगोड केरल के उत्तरी भाग में स्थित है। यह अपने ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व के कारण लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। कहा जाता है की 9 वीं और 14 वीं शताब्दी में कासरगोड के माध्यम से अरब केरल में आये। बेकल किला यहाँ पर एक यादगार स्मारक के रूप में स्थित है। कासरगोड का नाम दो शब्दों के मेल से बना है ‘कासरा’ जिसका अर्थ संस्कृत में तालाब है और ‘क्रोडा’ जिसका अर्थ है खज़ाना रखने की सुरक्षित जगह। कासरगोड कासरका पेड़ों से घिरा हुआ है। इसीलिए कासरगोड का नाम इन पेड़ों से भी उत्पन्न हुआ माना जाता है।
घर में इस दिशा में नहीं लगानी चाहिए बाज, शेर और कबूतर की तस्वीर, नहीं तो होता है विनाश…
महागणपति
मंदिर मधुर महागणपति मंदिर का वास्तविक नाम मधानेनथेसवरा मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित था। इस मंदिर के बारे में ये कहानी मशहूर है कि यहां के पुजारी के बेटे को भगवान गणेश से वरदान मिला था और उन्होंने भगवान गणेश की आकृति को दीवार पर उतारा था। इस घटना के बाद से ही इस मंदिर का नाम मधुर महागणपति मंदिर पड़ गया। आज इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा भगवान गणेश की मूर्ति को भी स्थापित किया गया है। गणेश चतुर्थी में इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। इस दौरान पर यहां भक्तों की भारी भीड़ देख सकते हैं। प्रसाद के रूप में यहां आने वाले लोगों को “अप्पा” नामक मिठाई दी जाती है कहां जाता है कि भगवान गणेश को ये मिठाई बहुत पसंद है।
बिना हेलमेट फर्राटा भरने वाली युवतियों को महिला पुलिसकर्मियों ने पढ़ाया यातायात नियमो का पाठ
मैंगलोर
आपने सुना होगा कि अक्सर लोग कहते हैं कि कर्नाटक का प्रवेश द्वार है मौंगलोर। यहां से आप शहर के खूबसूरत चित्र को काफी नजदीक से निहार सकते हैं। इस शहर के नाम के पीछे भी एक कहानी छिपी हुई है। इस नाम का सीधा संबध यहां की देवी मंगला देवी से हैं। मैंगलोर हमेशा चहलकदमी के लिए जाना जाता है। बंदरगाह के इस शहर का पहला संदर्भ 14वीं सदी में मिलता है, जब स्थानीय शासकों ने फारस की खाड़ी में राज्यों के साथ व्यापार संबंधों की स्थापना की। अपनी सामरिक स्थिति के चलते, मैंगलोर में कई बार बदलाव आये। पुर्तगाली, ब्रिटिश और मैसूर शासक हैदर अली और टीपू सुल्तान ने इस शहर पर कब्जा करने के लिए कड़वी लड़ाईयां लड़ीं। इस खूबसूरत शहर में विभिन्न शसकों ने अपनी छाप छोड़ी और आज मैंगलोर विभिन्न संस्कृतियों के एक समामेलन है।