तापमान गिरने पर बढ़ता है ब्लड प्रेशर; सिरदर्द, हार्ट अटैक और वजन घटने का सर्दी से है कनेक्शन
सर्दियां आते ही हम ठिठुरने लगते हैं। स्किन ड्राय होने लगती है। मसल्स सिकुड़ने लगती है। हार्ट अटैक के मामले बढ़ जाते हैं। बदलाव सिर्फ इतना ही नहीं है, शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। जैसे-जैसे बाहर का तापमान गिरता है, शरीर में ये बदलाव दिखने शुरू हो जाते हैं।
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शरीर में ये बदलाव क्यों होते हैं, सर्दी शुरू होते ही बीमारियों का खतरा क्यों बढ़ता है और इस बदलाव के बुरे असर से खुद को कैसे बचाएं? जानिए इन सभी सवालों के जवाब…
3 सवाल जो बताएंगे, शरीर में कौन-कौन से बदलाव होते हैं
- सर्दियों में क्यों नहीं बढ़ता वजन?
ठंड के दिनों में शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है। आसान भाषा में समझें तो शरीर थोड़ा तेजी से काम करने लगता है। शरीर गर्म रहता है। खाना जल्दी पचता है। कैलोरीज ज्यादा बर्न होती हैं। इसलिए सर्दियों में वजन नहीं बढ़ता। ध्यान रखें कि यहां वजन की बात सामान्य खानपान के लिए लागू हो रही है। अगर आप हाई कैलोरी फूड लेते हैं तो चर्बी घटाने के लिए एक्सरसाइज करना जरूरी है। - जाड़े में उंगलियां ठिठुर क्यों जाती हैं?
उंगलियों के फूलने और सिकुड़ने का कनेक्शन भी मौसम से है। तापमान कम होने पर शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ब्लड पहुंचाने वाली नसें खुद को सिकोड़कर शरीर को गर्म रखने की कोशिश करती हैं। ऐसा होने पर ब्लड सर्कुलेशन घटता है। इसलिए हाथ-पैरों की उंगलियां ठिठुरी हुई दिखाई देती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
धमनियां सिकुड़ने के कारण ब्रेन तक ब्लड पहुंचने में अड़चन आती है, इसलिए सिरदर्द के मामले भी इसी मौसम में सबसे ज्यादा सामने आते हैं। - हार्ट अटैक बढ़ने के मामले भी इसी मौसम में सबसे ज्यादा क्यों?
सर्दियों में धमनियां सिकुड़ने का असर हार्ट पर भी पड़ता है। ऐसा होने पर हार्ट तक पहुंचने वाले ब्लड और ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। यह हार्ट अटैक की वजह बनता है। हार्ट शरीर में टेम्प्रेचर को मेंटन करने का काम भी करता है। सर्दियों में हार्ट पर लोड ज्यादा बढ़ने के कारण हार्ट मसल्स डैमेज भी हो सकती हैं।
शरीर के इन हिस्सों पर सर्दी का असर ज्यादा
सर्दियों में सिर्फ हार्ट अटैक ही नहीं, डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ता है। वैज्ञानिक भाषा में इस डिप्रेशन को सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं। इसके मामले सर्दियों की शुरुआत में सामने आने शुरू हो जाते हैं।
तापमान जितना ज्यादा नीचे गिरता है, उसका असर ब्रेन और ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है। नतीजा सिरदर्द के मामले भी सामने आते हैं। इसके अलावा मरीजों में जोड़ों का दर्द और अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ता है। हवा में नमी घटने पर ड्रायनेस बढ़ती है। स्किन पर रैशेज और एग्जिमा की समस्याओं में बढोतरी होती है।
अब बात सर्दी में बचाव की, ये 3 बातें ध्यान रखें
खानपान: मक्का, बाजरा, गुड़ और मूंगफली को डाइट में शामिल करें
सर्दियों में अपने खानपान में मक्का, ज्वार, बाजरा और रागी को शामिल करें। ये गर्म तासीर वाला खानपान है जो सर्दी के साइडइफेक्ट से भी बचाता है। खाने में बहुत ज्यादा घी का इस्तेमाल करने से बचें। तिल, मूंगफली और गुड़ से बनी चीजें खा सकते हैं। इनमें आयरन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। अलग-अलग तरह की सब्जियों से तैयार सूप को डाइट में शामिल करें। इसे गर्म ही खाएं। ये कई तरह के पोषक तत्वों की कमी पूरी करते हैं। खाने में फलियों वाली सब्जियां, हरी सब्जियां, मछली और अंडे को शामिल करें। काली मिर्च, इलायची जैसे मसालों का इस्तेमाल करें।
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रहन-सहन: रोजाना धूप में 20 मिनट बैठें और 8-10 गिलास पानी पिएं
बिना गर्म कपड़ों के बाहर न जाएं ताकि ब्लड सर्कुलेशन नॉर्मल बना रहे। नहाने के बाद शरीर पर नारियल तेल लगाएं, ये नमी को बरकरार रखेगा। ड्रायनेस और रैशेज से बचाव कर सकेंगे। मौसम कोई भी हो, रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना जरूरी है। यह शरीर से जहरीले तत्वों (टॉक्सिंस) को बाहर निकालने में मदद करता है। रोजाना सुबह की धूप में 20 मिनट जरूर बैठें। इससे विटामिन-डी की कमी पूरी होगी जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करेगी।
एक्सरसाइज: खुले में वर्कआउट करने से बचें, सुबह की वॉक पर न जाएं
सर्दी में सुबह की वॉक से बचें। सुबह 10 बजे के बाद वॉक या वर्कआउट करना बेहतर विकल्प है। इससे शरीर में गर्माहट बनी रहती है। रोजाना 30 मिनट की एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसकी शुरुआत हाथ, कमर और गर्दन के मूवमेंट से करें। खुले में वर्कआउट करने से बचें। एक्सरसाइज करने के तुरंत बाद खुले में न जाएं।