
यूपी में कुशीनगर जनपद में तकरीबन चार दशक पहले हुई वह घटना आज भी लोगों को याद है। घटना जिसने कप्तानगंज थाना क्षेत्र के गांव में कोहराम मचा दिया था। जब एक महिला की मौत के बाद इतना बवाल हुआ था कि तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार तक को बर्खास्त करना पड़ गया था। वहीं पीड़ित परिवार का हाल जानने के लिए स्वंय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उस गांव में जाना पड़ा था।

हालांकि इन चार दशकों के बीच ही जब अगले चुनाव में यूपी में कांग्रेस की सरकार बनी तो किसी ने भी दोबारा नरायनपुर गांव का रुख नहीं किया। अनाथ हुई उस बच्ची सोनकेशिया को भी सब भूल गये जिसे खुद इंदिरा गांधी ने गोद में उठा कर बेटी कह कर संबोधित किया था। आलम यह है कि सोनकेशिया आज भी खपरैल के मकान में अपना जीवन बिता रही हैं।
आपको बता दें कि हाटा कप्तानगंज मार्ग पर नरानपुर गांव के रहने वाले वंशी प्रजापति और उनकी पत्नी कलूता की मौत हो गयी थी। जिसके बाद उनकी बेटी सोनकेशिया और बेटे जय प्रकाश का पालन-पोषण बुजुर्ग दादी बसरकलिया के द्वारा किया गया। ज्ञात हो कि 11 जनवरी 1980 को ही बसरकलिया गांव के सामने हाटा कप्तानगंज मार्ग पर एक बस की चपेट में आकर उनकी मौत हो गयी थी। जिसके बाद गांव और अन्य लोगों की ओर से मुआवजे की मांग को लेकर सड़क जाम की गयी थी। मौके पर पहुंचे तत्कालीन कप्तानगंज के एसओ ने लाठीचार्ज कर भीड़ को हटाना चाहा। जिसके बाद गांव के लोग उग्रम हो गयी और बवाल की सूचना पर भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी को मौके पर पहुंचना पड़ा।
मीडिया रिपोर्टस बताती है कि उस दौरान किस तरह पुलिस औऱ पीएसी ने गांव में घुसकर बर्बरता की। जिसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर छा गया और प्रदेश सरकार के मंत्री मोहन सिंह ने भी इस घटना पर विधानसभा में अपनी ही सरकार को खरी खोटी सुनाई। मामले को बढ़ता देख केंद्र सरकार ने प्रदेश की बनारसी दास सरकार को बर्खास्त कर दिया। इसी घटना के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद नरायनपुर गांव पहुंची और पीड़ितों का हाल जाना।