कांग्रेस के सबसे बड़े फैसले को पीएम मोदी ने दिखाई लाल झंडी, बौखलाया विपक्ष बोला- अरे ये क्या…

आरटीआईनई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार यानी कि आरटीआई अधिनियम, 2005 में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। बदलाव का नया मसौदा भी तैयार कर लिया गया है। इस बदलाव के लिए पीएम मोदी ने 15 अप्रैल तक आम जनता से उनकी राय मांगी है। हालाकिं विपक्षियों ने सरकार का विरोध करना शुरु कर दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार आरटीआई आवेदन के दौरान अधिकतम 500 शब्दों के नियम के साथ आवेदनकर्ता से ली जाने वाली फीस में भी बढ़ोत्तरी कर सकती है।

भाजपा के इस फैसले का विरोध करते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि आरटीआइ संशोधन के मसौदे को अगर मंजूरी मिल गई, तो आम नागरिक को सरकारी महकमों से सूचना हासिल करना काफी मुश्किल होगा। सरकार का यह कदम आरटीआइ का गला घोंटने जैसा होगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) ने अपनी वेबसाइट पर जनता के सुझाव प्राप्त करने के लिए इंतज़ाम किया है।

सरकार के इस फैसले से आरटीआई कार्यकर्ताओं मे काफी नाराजगी है। और सरकार पर आरटीआई क़ानून को कमज़ोर करने का भी आरोप लगाया जा रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बतरा ने बताया कि सरकार ने आम जनता के लिए सूचना का अधिकार पाना मुश्किल कर दिया है।

आप को बता दें कि नए नियमों के मुताबिक़ आवेदनकर्ता की मृत्यु के बाद मामला आयोग के सामने ख़त्म माना जाएगा। सरकार के प्रस्‍तावित बदलाव के मुताबिक, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी) को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह किसी भी शिकायत को दूसरी अपील का दर्जा दे सकता है। आयोग अपने विवेक से शिकायत में संशोधन को भी स्वीकार कर सकता है। जिनमें मौजूद उपचारों के समाप्त होने पर शिकायत को दूसरी अपील में बदलना शामिल है।

हालाकिं नए नियम के अनुसार कुछ सहूलीयतें भी दी जा रही हैं। आवेदनकर्ता अब ऑनलाइन आवेदन भी कर सकतें हैं। आरटीआई के नए नियम के अनुसार, आवेदनकर्ता आरटीआई के जवाब के 135 दिनों के भीतर ही शिकायत दर्ज कर सकता है, साथ ही देरी होने पर माफ़ी मांगनी पड़ सकती है। नए नियम में आवेदनकर्ता अपना आवेदन वापस भी ले सकता है।

आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी और सूचना के लिए अब आवेदनकर्ता को प्रति कॉपी 2 रुपये चुकाने पड़ेंगे। वहीं, आर्थिक सर्वे और नेशनल सैम्पल्स सर्वे के आंकड़ों के लिए ज्यादा क़ीमत चुकानी पड़ेगी।

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