आंखों की रोशनी भी छीन सकती है ज्यादा स्मोकिंग, जानें क्या है कारण

ज्यादातर लोग मानते हैं कि स्मोकिंग यानी धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है क्योंकि इससे कैंसर और फेफड़े को दूसरे रोगों का खतरा होता है। मगर क्या आपको पता है कि धूम्रपान की लत आपको अंधा भी बना सकती है। जी हां, ज्यादा धूम्रपान करने से इसका असर आंखों पर और शरीर के अन्य कई अंगों पर भी पड़ता है। आइए आपको बताते हैं सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद कैसे आपकी आंखों को करते हैं प्रभावित।

स्मोकिंग

ब्लड में बढ़ जाता है निकोटिन

सिगरेट, बीड़ी और गुटखे में निकोटिन युक्‍त तंबाकू होता है। निकोटिन का आपके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों की आंखों में जलन की समस्या सामान्य है। ये इस बात का संकेत होता है कि सिगरेट का असर आपकी आंखों पर पड़ने लगा है और समय रहते इसे बंद नहीं किया गया, तो रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है। हाई ब्‍लड प्रेशर और डायबिटीज के रोगियों को धूम्रपान बिलकुल भी नहीं करना चाहिए, क्‍योंकि इससे रक्त में निकोटिन का स्तर बढ़ जाता है, जो रेटीना के लिए खतरनाक है।

सेकंड हैंड स्मोकिंग भी है खतरनाक

कई बार आप सिगरेट नहीं पीते हैं मगर आपके आस-पास मौजूद लोग जैसे- दोस्त, रिश्तेदार, परिवार के सदस्य या सफर के दौरान साथ में यात्रा करने वाले लोग पीते हैं। ऐसे में सिगरेट न पीने के बावजूद इसका धुंआ आपके फेफड़ों में भी जाता है, जिससे आप भी उतने ही प्रभावित होते हैं, जितना कि सिगरेट पीने वाला व्यक्ति। इसलिए सेकंड हैंड स्मोकिंग भी खतरनाक हो सकती है।

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कम हो जाती है आंखों की नमी

सिगरेट में मौजूद कई ऑक्सीडेंट्स आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। धूम्रपान करने वालों की आंखों को तंबाकू के जहरीले धुएं में मौजूद रसायनों से कंजक्टिवा के ग्लोबलेट सेल्स क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिनके कारण आंख की सतह पर नमी बनी रहती है। इसी तरह धुएं में मौजूद कार्बन पार्टिकल्‍स पलकों पर जमा हो सकते हैं, इसके कारण आंखों की नमी और गीलापन खत्म हो सकता है। अगर यह लंबे समय तक बना रहे तो आंखों में खुजली होती है और नजर में धुंधलापन हो सकता है। इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा खतरा

धूम्रपान करने वालों को थायरॉयड, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्‍या हो सकती है। इन बीमारियों के कारण नजर प्रभावित होती है। डायबिटीज के रोगियों में डायबिटिक न्‍यूरोपैथी की बीमारी हो जाती है, इसके कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है। डायबिटीज के रोगी अंधेपन के शिकार भी हो सकते हैं।

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मोतियाबिंद और मैक्युलर डिजेनेरेशन

धूम्रपान के जरिये तंबाकू के संपर्क में आने वाले लोगों में दूसरों के मुकाबले मोतियाबिंद होने का खतरा अधिक होता है। इसी तरह न्यूक्लियर और पोस्टियर पोलर किस्म के कैटरेक्ट भी इन्हीं लोगों को छोटी उम्र से ही होने लगते हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि धूम्रपान करने वाले लोगों को दूसरों के मुकाबले उम्र आधारित मेक्यूलर डीजनरेशन का जोखिम दोगुना रहता है।

 

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