अगर आपको भी दिख रहे हैं ये लक्षण, तो होने वाला है परिवार और अपनों का खात्मा…

भारतीय विद्वानों ने सैकड़ों वर्षो में अर्जित किए गए ज्ञान को देसी भाषा के मुहावरों में ढाल दिया है जिससे आम जनता उन तक पहुंच सके।

लोकोक्तियों के रूप में प्रचलित इन मुहावरों से एक सामान्य आदमी भी बिना ज्योतिष सीखे जान जाता है कि कब क्या होने वाला है। यहीं नहीं इन कहावतों में संकटों से बचने के उपाय भी बताए गए हैं जो प्रयोग करने पर उपयुक्त सिद्ध होते हैं, जैसे कि:

अगर आपको भी दिख रहे हैं ये लक्षण, तो होने वाला है परिवार और अपनों का खात्मा

रात में बोलै कागलो (अर) दिन में बोलै स्याल।
कै धरतीरो धणी नहीं (अर) कै अणचीत्यो काल।।

यदि रात में कौवे तथा दिन में गीदड़ बोलने लगे तो समझ लेना चाहिए कि उस जगह का दुर्भाग्य आ पहुंचा है। या तो वहां पर कोई रहने वाला नहीं बचेगा या फिर वहां काल का नंगा नाच होगा।

इसी तरह की एक लोकोक्ति और भी है:

प्रभातै गहडम्बराँ सांझाँ सीला वाय।
डंक कहै सुण भडली ये कालाँरा सुभाव।।

ज्योतिष विद्या के महान विद्वान कवि डंक अपनी पत्नी भडली से कहते हैं कि यदि सुबह खूब बादल छाए हुए हों और शाम को ठंडी हवां चलती है तो समझ लेना चाहिए कि अकाल पड़ने वाला है। अकाल के पहले इसी तरह के लक्षण होते हैं।

जाके पूरब पीपल हौवे, सो लक्ष्मी पर लक्ष्मी खौवे
जिस घर के पूर्व में पीपल का पेड़ होता है, उस घर में लगातार कलह बनी रहती है और धन का नाश होकर दरिद्र हो जाता है।

जेंहि भुई पर अशोक वृख बासा, शोक रहित उई भवन सुवासा
जिस जगह पर अशोक का वृक्ष होता है, वहां का भवन उत्तम सुखदायक होता है, इसीलिए घरों में अशोक का पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है।

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छोटे दरवाजो मोटी चोर। बहों होय तो आफत घोर
जिस घर का मुख्य दरवाजा बहुत छोटा होता है, वहां चोरों के आने की बहुत ज्यादा संभावना होती है और जहां घर का दरवाजा बहुत बड़ा होता है वहां अनेक समस्याएं होती है। इसीलिए घर का मुख्य दरवाजा सही अनुपात में ही होना चाहिए।

सिंह मुखी जो रहने जावै। तन, धन आपन सकल गंवावै।
जो भूमि (प्लॉट) आगे से चौड़ा तथा पीछे से संकरा अर्थात सिंह मुखी हो उस घर में रहने वाले को शरीर, स्वास्थ्य और भाग्य की हानि होती है।

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