अपशकुन को अन्धविश्वास मान बुरे फंसे CM योगी, अब जाएगी कुर्सी?

नई दिल्ली: ज्योतिष और राजनीति का गहरा नाता रहा है. राजनीति में हमेशा से भविष्यवाणियों और शकुन-अपशकुन को वरीयता दी जाती रही है चाहे वह जेल में एक 24 साल के लड़के को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी हो जिसका नाम राजनाथ सिंह था या फिर सरकारों में होने वाले फेरबदल का नक्षत्रों और सितारों से जुड़ाव वाले अनेकों किस्से हों.योगी आदित्यनाथ

मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस बात के चर्चे जोरों पर रहते हैं की शासन से जुड़ाव रखने वाला कोई भी राजनेता उज्जैन में रात नही गुजार सकता है. जब-जब किसी मंत्री या नेता ने महाकाल के दरबार में रात गुजारी सुबह उसे राजनीतिक हलचलों से दो-चार होना पड़ा और ज्यादातर किस्सों में कुर्सी से पदस्थ होना पड़ा. स्थानीय लोगों का मानना है कि महाकाल शिव की सत्ता के सामने कोई और सत्ताधारी के टिक पाने की बिसात नही है.

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हालंकि कुछ एक कहानियों के इतिहास को समेटने के बाद से ही सत्ता से किसी भी तरह का जुड़ाव रखने वाले राजनेताओं ने महाकाल को चुनौती देने का न ही साहस जुटाया न ही जोखिम लिया. इस फेहरिस्त में पीएम मोदी का नाम भी आता है.

एक किस्सा है जिसमे उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को सचेत किया गया था कि अगर वह मुख्यमंत्री होते हुए नोएडा का दौरा करते हैं तो उनकी सरकार गिर सकती है लेकिन फिर भी उन्होंने बात को दरकिनार करते हुए जोखिम उठाया जिसकी भरपाई उन्हें कुर्सी गंवाने के रूप में करनी पड़ी.

इस फेहरिस्त में राजनाथ सिंह का भी नाम आता है जिसके बाद से ही उत्तर प्रदेश सत्ताधारी मुख्यमंत्री नोएडा जाने के जोखिम से बचते ही रहे हैं लेकिन हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने इस अपशकुन को अन्धविश्वास करार देते हुए नोएडा का दौरा किया था.

उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में हार के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. वहीं कुछ लोग इस हार को सीएम योगी के नोएडा दौरे से भी जोड़ रहे हैं.

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दरअसल ऐसा एक अंधविश्वास प्रचलित है, कि यूपी का जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आता है, वह अगला चुनाव जीत नहीं पाता. हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ को इस अपशकुन पर यकीन नहीं है.

आदित्यनाथ से जब पूछा गया कि नोएडा आने का दुष्प्रभाव है क्या जो आप गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनाव हार गए? तो उन्होंने कहा ‘मेरा नोएडा में शीघ्र कार्यक्रम लगने वाला है. योगी के रूप में मैं अशुभ को शुभ करने जाता हूं. मैं उत्तर प्रदेश के अशुभ को शुभ कर रहा हूं.’

आदित्यनाथ ने ये बातें लखनऊ से लाइव जुड़ते हुए कही. आदित्यनाथ ने कहा है कि मैं सीएम नहीं, बल्कि पहले योगी हूं और योगी कहलाना पसंद करता हूं. हार और जीत हमारे लिए न उल्लास का विषय होता है न अवसाद का.

लेकिन हर हार को हम सबके लिए सबक होती है. अति आत्मविश्वास में जब भी कहीं हम कोई काम करेंगे, पुरुषार्थ करना भूल जाएंगे तो इस तरह की स्थितियां सामने आएंगी.

योगी ने कहा यह तो तय है कि इस उपचुनाव ने सबित कर दिया है कि किसी में कुव्वत नहीं कि अकेले बीजेपी का सामना कर सके. वो तय करें कि गठबंधन का नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव या मायावती जी में से कौन होंगे. यह तय करके आएं पता चल जाएगा. जो सच्चाई है उस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए ये बेमेल सौदेबाजी है. प्रदेश की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी.

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योगी ने कहा उपचुनावों में स्थानीय इश्यू होते हैं. कार्यकर्ताओं में यह बात थी कि यह तो सीएम, डिप्टी सीएम की सीट है. कार्यकर्ताओं में यह आत्मविश्वास था कि हम जीत ही रहे हैं तो वे मैदान में नहीं गए.

मतदान प्रतिशत गिरते ही बीजेपी को दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. गोरखपुर में हार की हमने समीक्षा की है  उसकी रणनीति बना रहे हैं. रणनीति का खुलासा नहीं बल्कि वक्त आने पर उसका क्रियान्वयन होगा. गोरखपुर के लोग मतदान के लिए गए होते तो यह स्थिति नहीं आती. कम प्रतिशत का हमें खामियाजा भुगतना पड़ा.

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