UN ने पोचमपल्ली को चुना देश का सर्वश्रेष्ठ गांव, ‘इकत’ साड़ियों के लिए है मशहूर
आपके लिए तेलंगाना के नलगोंडा जिले का पोचमपल्ली गांव नाम नया हो सकता है, लेकिन आज दुनियाभर में इसकी चर्चा है। संयुक्त राष्ट्र(United Nation) विश्व पर्यटन संगठन ने पोचमपल्ली को पर्यटन के लिहाज से देश का सर्वश्रेष्ठ गांव घोसित किया है। पोचमपल्ली गांव अपनी बुनाई शैली और ‘इकत’ साड़ियों के लिए मशहूर है। इसलिए इसे सिल्क् सिटी भी कहा जाता है।
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इस गांव में हथकरघा से जुड़े छोटे-बड़े 80 समूह मौजूद हैं। 1500 से अधिक परिवारों वाले इस गांव में 10 हजार हथकरघे हैं। पूरे देश में यहां की साड़ियां भेजी जाती हैं। देश में पोचमपल्ली की साड़ियों का 200 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार है। 1 साड़ी को तैयार करने में 40 दिन लगते हैं।
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संयुक्त राष्ट्र विश्व़ पर्यटन संगठन ऐसे गांवों को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का दर्जा देता है जो अपनी विरासत को भी संभाल रहे हों साथ ही साथ संस्कृति को भी बढ़ावा दे रहे हों। हथकरघा से जुड़ी विरासत को संभालते हुए पोचमपल्ली व्यापारिक दृष्टि से भी आगे बढ़ रहा है। इकत साड़ियों की श्रीलंका, मलेशिया, दुबई, यूरोप और फ्रांस समेत कई देशों में बहुत मांग है।
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मध्य प्रदेश का लधपुरा, मेघालय का कोंगथोंग भी सर्वश्रेष्ठ गांव बनने की रेस में शामिल था, लेकिन जीत तेलंगाना के पोचमपल्ली की हुई। इस पर केंद्रीय संस्कृतिक पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री का कहना है कि “स्पेन के मैड्रिड में 2 दिसंबर को होने वाली यूएनडब्ल्यूटीओ की आम सभा में इस गांव को अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के जरिए आत्मनिर्भर भारत के तहत पोचमपल्ली की बुनाई शैलियों को विशेष स्थान मिला।”
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अपनी भव्यता और खास तरह की डिजाइन के लिए यह साड़ी जानी जाती है। खास तरह की बुनाई तकनीक से इन्हें तैयार किया जाता है, जिसमें रंग-बिरंगे धागों के जरिए पहाड़नुमा आकृतियां बनाई जाती हैं। इसे पोचमपल्ली इकत कहा जाता है। इसके अलावा यह साड़ियां आरामदेह कपड़े के लिए भी फेमस है।
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