महिला ने थाने में किया बवाल, सिपाही को जड़े थप्पड़

देहरादून प्रेमनगर थानादेहरादून। पुलिस जो देश की जनता के रक्षा के लिए होती है। इन्हीं जनता के बीच एक महिला द्वारा शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है यहां एक मां अपने बेटे की पैरवी के सिलसले में प्रेमनगर थाने गयी थी। जहां उसका कुछ सिपाहियों से बवाल हो गया उसके बाद महिला ने एक सिपाही को थप्पड़ जड़ दिया।महिला पर दो सिपाहियों की वर्दी फाड़ने के साथ ही पुलिस अधिकारियों से बदसलूकी करने का भी आरोप है।

महिला खुद को उत्तर प्रदेश की न्यायिक सेवा का अधिकारी बता रही थी। पुलिस अधीक्षक (नगर) प्रदीप राय के मुताबिक रोहन पाठक पुत्र देवेश पाठक निवासी गोमतीनगर लखनऊ दून स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एनर्जी स्टडीज में बीए एलएलबी का तृतीय वर्ष का स्टूडेंट है। वह नंदा की चौकी के पास एक हॉस्टल में रहता है। पुलिस ने बताया कि तीन दिन से उसका संस्थान के कुछ छात्रों के साथ विवाद चल रहा है। सोमवार रात भी कार की साइड से रगड़ लग जाने के कारण कुछ छात्रों से कहा सुनी हुई थी।

मंगलवार को जब वह यूनिवर्सिटी पहुंचा तो दूसरे पक्ष के छात्रों से उसकी मारपीट हुई। इस पर पुलिस दोनों पक्षों को पकड़ थाने ले आई। थाने में भी दोनों पक्ष शांत ना हुए औऱ आपस में भिड़ गए। आरोप है कि रोहन ने खुद को न्यायिक अधिकारी का बेटा बताते हुए पुलिस पर रौब दिखाया। इसी दौरान रोहन के माता-पिता भी थाने पहुंच गए।

एसपी सिटी ने बताया कि रोहन की मां ने खुद को उत्तर प्रदेश के उन्नाव में न्यायिक सेवा की अधिकारी बताते हुए पुलिस कर्मियों को धमकाना शुरू कर दिया व रोहन को तुरंत छोडऩे को कहा। इस बीच एक सिपाही मुकेश पुरी ने मोबाइल से  रिकार्डिंग शुरू कर दी। यह देख महिला मारपीट पर उतारु हो गई।

आरोप है कि महिला ने सिपाही को थप्पड़ जड़ दिए। जब पुलिसकर्मी रिंकू और चमन ने महिला को रोकना चाहा तो उसने दोनों की वर्दी फाड़ डाली। इतना ही नहीं, आरोप है कि बीच-बचाव में आई महिला पुलिसकर्मियों से अभद्रता भी की। थानाध्यक्ष नरेश राठौर ने महिला को समझाने की कोशिश की मगर वह शांत नहीं हुई।

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने बताया कि महिला के न्यायिक अधिकारी होने का दावे को पुलिस पता लगा रही है कि वो महिला सच बोल रही है या झूठ। देर रात तक महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर पुलिस असमंजस इसलिए है कि अगर वह महिला न्यायिक अधिकारी हैं, तो उनके विरुद्ध सीधे मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट की गाइड-लाइन के अनुसार इसके लिए हाईकोर्ट से रज़ामंदी लेनी जरूरी है। इतना ही नहीं, आरोप है कि बीच-बचाव में आई महिला पुलिसकर्मियों से अभद्रता भी की। थानाध्यक्ष नरेश राठौर ने महिला को समझाने की कोशिश की मगर वह शांत नहीं हुई।

इस मामले में पहले थानाध्यक्ष द्वारा महिला के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की बात की कही जा रही थी, लेकिन उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद पुलिस बैकफुट पर आ गई। खबर लिखे जाने तक पुलिस ने मुकदमा कायम नहीं किया था।

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