
महाकाव्य महाभारत में विदुर ने कई नीतियों के विषय में बताया गया है। ये नीतियां आज के समय में भी उतनी ही उपयोगी है जितनी की उस समय हुआ करती थी। महात्मा विदुर ने अपनी नीति में उन छः लोगों के विषय में बताया है जो हमेशा दुखों से ही घिरे रहते है। चलिए आपको बताते हैं विदुर नीति में बताए गए उन छः लोगों के बारे में।
श्लोक-
ईर्ष्यी घृणी न सन्तुष्ट: क्रोधनो नित्यशड्कित:।
परभाग्योजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।।
कुछ लोगों को हर समय दूसरों पर शक करने की आदत होती है। कोई भला ही क्यों न चाहे, लेकिन ऐसे लोग विश्वास नहीं कर पाते। बेवजह शक करने की आदत इंसान के लिए दुःख लाती है।
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कई लोग बेवजह या ज्यादा गुस्सा करते हैं। गुस्सा न की सिर्फ उनका नुकसान करवाता है बल्कि दुःख का कारण भी बनता है। वे चाहे कितनी ही मेहनत करें, धन कमाएं लेकिन इस आदत की वजह से दुखी बने रहते हैं।
जो लोग आलसी, काम-चोर होते हैं, वे खुद कुछ मेहनत न करते हुए दूसरों के भाग्य के सहारे ही अपना जीवन जीते रहते हैं। ऐसे लोगों का साथ दुःख कभी नहीं छोड़ता।
जो लोग दूसरों को खुद से छोटा समझते हैं या उनके प्रति नफरत ही भावना रखते हैं। उन पर भी दुःख का साया बना रहता है। दूसरों से घृणा करने वाला मनुष्य चाहे कुछ भी कर लें, लेकिन खुद कभी खुश नहीं रह पाता।
जो दूसरों की ख़ुशी को देखकर दुखी होते हैं या उनसे जलन करने लगते हैं, वे कभी खुश नहीं रह पाते। ऐसे लोग चाहे कितनी ही कोशिश कर लें, लेकिन किसी न किसी कारण से उनका दुःख बना रहता है।
कई लोगों के पास कितनी ही सुख-सुविधा क्यों न हो, लेकिन फिर भी वे संतुष्ट नहीं हो पाते। ऐसे लोगों को हर समय अपनी जरूरतों से ज्यादा की उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं और इसी कारण हमेशा दुखी रहते हैं।