राज्यसभा दिवस पर उपराष्ट्रपति ने दी बधाई, कहा- संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में उच्चसदन ने निभाई अहम भूमिका

दिलीप कुमार

भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ रखने में संसद के स्थायी सदन राज्यसभा का महत्व पूर्ण योगदान रहा है। रविवार यानी आज राज्यसभ दिवस है। राज्यसभ दिवस के अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को राज्यसभा दिवस की बधाई दी और कहा कि उच्च सदन ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

राज्यसभा के सभापति नायडू ने सदस्यों से लोगों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए जानकारीपरक एवं रचनात्मक बहस में हिस्सा लेने की अपील भी की।

उपराष्ट्रपति सचिवालय ने नायडू के हवाले से ट्वीट करते हुए कहा कि, “राज्यसभा दिवस की बधाई! अपनी स्थापना के समय से ही राज्यसभा ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है।” उन्होंने कहा कि, मैं राज्य सभा के सदस्यों से लोगों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए जानकारीपरक एवं रचनात्मक बहस में शामिल होने की अपील करना चाहता हूं।

राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, संविधान सभा जिसकी पहली बैठक नौ दिसंबर 1946 को हुई थी, उसने 1950 तक केंद्रीय विधानमंडल की भी भूमिका अदा की थी, जिस बाद में अंतरिम संसद में तब्दील कर दिया गया था। 1952 में पहला संसदीय चुनाव होने तक केंद्रीय विधानमंडल एक सदनात्मक प्रणाली वाली संस्था थी। एक वक्त ऐसा आया जब स्वतंत्र भारत में एक दूसरे सदन की जरूरत को लेकर संविधान सभा में व्यापक बहस हुई।

अंतोगत्वा लंबे बहस के बाद आजाद भारत के लिए एक द्विसदनात्मक विधायिका बनाने का निर्णय लिया गया, क्योंकि विविधताओं से भरे एक विशाल देश में संघीय प्रणाली को सरकार का सबसे व्यवहार्य रूप माना जाता था। बता दें कि राज्यों की परिषद के नाम से एक दूसरे सदन की स्थापना की गई, जिसकी संरचना और चुनाव की प्रक्रिया लोगों द्वारा सीधे चुने गए पहले सदन से अलग थी। यह एक संघीय सदन था, जिसके सदस्य राज्यों और दो केंद्र-शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते थे।

इस सदन में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था। निर्वाचित सदस्यों के अलावा राष्ट्रपति द्वारा सदन में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का प्रावधान भी किया गया था। सदन के सभापति ने 23 अगस्त 1954 को इसका नाम राज्यसभा रखने की घोषणा की थी।

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