उत्तराखंड : भारत-चीन के डगमगाते रिश्ते के बीच टूट गया वैली ब्रिज, 45 गांवों से टूटा संपर्क
नई दिल्ली। भारत और चीन के डगमगाते रिश्ते में बीच उत्तरकाशी से पांच किलोमीटर दूर दोनों की सीमा को जोड़ने वाला वैली ब्रिज एक बार फिर से टूट गया। जाम माल का नुक्सान नही हुआ है लेकिन पुल टूटने की वजह से गंगा घाटी का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है।
वहीं पुल टूटने से गंगोत्री घाटी अलग-थलग पड़ गई है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और प्रशासन की टीम अस्सीगंगा नदी में अस्थाई सड़क बना रही है।
भारी वाहन बना पुल टूटने की वजह
यह घटना रविवार सुबह 10.30 बजे की है। जब पुल से एक ओवर लोड ट्रक गुजर रहा था तभी पुल बीच से टूट गया। पुल ढहने की खबर मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया है।गनीमत है कि अभी तक इस दुर्घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है। इस पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक थी।
बता दें चीन बॉर्डर के लिहाज से इस पुल का बड़ा महत्व है।
45 गांवों से टूटा संपर्क
इस वैली ब्रिज के टूटने से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भारत चीन सीमा पर नेलांग, नागा, सोनाम, जादूंग, सुमला, नीला पानी, मेंडी स्थित सेना व भारत तिब्बत सीमा पुलिस आइटीबीपी की चौकियों से भी सम्पर्क कटा।
साथ ही उत्तरकाशी जनपद के भटवाड़ी ब्लाक के टकनौर, नाल्ड कठूड़, असीगंगा, उपला, पट्टी के करीब 45 गांवों का संपर्क टूट गया है।
ऐसे में अगर दुसरे वैकल्पिक पुल का निर्माण जल्दी नहीं होता है तो सेना व आइटीबीपी के चौकियों में राशन आदि का संकट हो सकता है।
इससे पहले भी टूट चूका है चीन सीमा को जोड़ने वाला ये ब्रिज
याद होगा आपको जब अस्सीगंगा नदी में 3 अगस्त 2012 को भारी बाढ़ आई थी, जिसके कारण गंगोरी के पास गंगेात्री हाइवे पर बना पक्का पुल बह गया था।
इसके स्थान पर सेना व बीआरओ ने 190 मीटर लंबा वैली ब्रिज बनाया था। इस ब्रिज की क्षमता 18 टन की थी, लेकिन पिछले साल (2017) में दो ट्रक इस पुल से गुजर रहे थे उनके भार से ये टूट गया था।
इसके बाद आनन-फानन में बीआरओ द्वारा फिर से वैली ब्रिज का निर्माण किया गया और आवाजाही शुरू की गई। लेकिन एक बार फिर से ये पुल ढह गया है।
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