सपा के गढ़ इटावा में कांग्रेस ने उतारा 52 साल बाद मुस्लिम प्रत्याशी, जानें कौन है

अभिनव त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश का एक ऐसा शहर जो पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण जहां की सीट की चर्चा पूरे प्रदेश में होती है ऐसी इटावा विधानसभा सीट पर इस बार सियासी सुरमाओं की राह आसान नहीं होगी। क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस ने 52 वर्ष बाद मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर सभी की हलचलें बढ़ा दी है। आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी के विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी को संभालने वाले मोहम्मद राशिद को प्रत्याशी घोषित किया गया है। ये कांग्रेस पार्टी के अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व शहर अध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष है।

अगर मोहम्मद राशिद की बात करें तो कहा जाता है प्रदेश संगठन पर इनकी काफी अच्छी पकड़ है। इटावा में होने वाले कार्यक्रमों में ये हमेशा से ही बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है। इनकी मेहनत और लगन और लोकप्रियता को देखते हुए 52 साल बाद किसी मुस्लिम यहाँ से प्रत्याशी बनाया इससे पहले हुजूर हाजिक को अपना प्रत्याशी बनाया था जिन्होंने काफी अच्छा चुनाव लड़ा था पर बहुत कम वोटों से उनको हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से किसी भी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी ने मुस्लिम चेहरे पर दांव नहीं खेला।

अगर हम कांग्रेस की बात करें तो इस सीट पर उसने आखिरी बार 1985 में जीत हासिल की थी तब सुखदा मिश्रा प्रत्याशी थी। इसके बाद वो 1989 में जनता दल से चुनाव लड़ी थी। मोहम्मद राशिद के चुनाव में उतरने के बाद ऐसा लग रहा है की सपा के मुस्लिम वोटों में नुकसान देखने को मिलेगा।
मीडिया से बात करते हुए राशिद ने कहा कि पार्टी ने जो मेरे ऊपर भरोसा जताया है मैं उस पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा। उस विश्वास को कायम रखने के लिए मैं अपनी जी-जान लगा दूंगा और इस सीट पर कांग्रेस को दूसरी जीत दिलाकर ही दम लूँगा। साथ ही साथ राशिद ने कहा कि मैंने समाज के हर तबके की मदद की है इसलिए मुझे सबका साथ और आशीर्वाद मिल रहा है।
आपको बता दें की 2 साल पहले 19 जनवरी को सीएए, एनआरसी, संविधान बचाओ और महिला उत्पीड़न के विरोध में मोहम्मद राशिद ने इटावा के शास्त्री चौराहे पर लगभग 50 घंटे तक भूख हड़ताल के साथ आंदोलन भी किया था । इसके बाद वो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की नजर में एक कुशल नेता के रूप में जगह बनाई उन्होंने इसके साथ ही कृषि मुद्दों पर भी आंदोलन किया इस दौरान कई बार जेल भी भेजे गए। राशिद की लगन को देखते हुए उन्हे 52 साल बाद प्रत्याशी बनाया गया है।

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