दर्द भरे इलाज से मुक्ति, सुई की मदद से 24 घंटो के भीतर खत्म होगा ट्यूमर
नई दिल्ली। अब फेफड़े या किडनी में चार सेंटीमीटर तक के ट्यूमर का बिना ऑपरेशन के इलाज संभव हो सकेगा। इंटरवेंशनल रेडियॉलजी में शुरू हुई पिन होल तकनीक की मदद से ये इलाज पॉसिबल हो पाएगा। इस तकनीक में मरीज के शरीर पर कोई दाग नहीं पड़ता है और केवल 24 घंटों के अंदर मरीज को डिस्चार्ज भी कर दिया जाता है।
इस बात की जानकारी लखनऊ स्थित पीजीआई में चल रहे इंडियन सोसायटी वस्कुलर ऑफ इंटरवेंशनल रेडियॉलजी के 20 वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन मंगलवार को डॉ शुव्रो रॉय ने इस बात की जानकारी दी।
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वहीं डॉ रॉय का कहना है कि पिन होल तकनीक में मेडिकेटेड पिन को स्किन से ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद पिन की मदद से ट्यूमर को जला दिया जाता है। इस पद्धति में साइड इफेक्ट काफी कम होता है। वर्तमान में यह सुविधा लखनऊ पीजीआई में ही है।
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वहीं, पीजीआई के रेडियॉलजी विभाग के एचओडी डॉ राजेन्द्र फड़के का कहना है कि लंबे समय तक बैठे रहने से कई बार खून की नस में थक्का जम जाता है। इससे जान को खतरा तक हो सकता है। ऐसे में गोल्डन पीरियड में थक्का निकाला जाना जरूरी होता है। आमतौर में एंजियोप्लास्टी करनी पड़ती है, हालांकि अब सेंक्शन थ्रॉमबेकटॉमी तकनीक से इलाज सम्भव है।