गुर्दे से बाहर होगी 20 मिमी तक की पथरी, ऑपरेशन की जरूरत नहीं

लखनऊ। गुर्दे और मूत्रमार्ग में अगर पांच से 10 मिमी से कम आकार की पथरी है तो इसके लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं है। पहले छह सप्ताह तक दवाएं दी जाती है, अगर इससे स्टोन नहीं निकलता है तो फिर ऑपरेशन किया जाता है। वहीं पथरी की जांच में अल्ट्रासाउंड से बेहतर लो डोज एनसीसीटी स्कैन (नॉन कंट्रास सीटी स्कैन) मानी जाती है। यह जानकारी सर्जरी विभाग के प्रो. विनोद जैन ने सर्जरी विभाग के 63वें स्थापना दिवस पर दी।

स्टोन

आरआइआरएस है नई तकनीक : प्रो. जैन ने बताया कि अगर पथरी 10 मिमी से बड़ी है तो ऑपरेशन किया जाता है। इसमें आजकल लिथोटिप्सी विधि का उपयोग किया जाता है। यह 10 से 20 मिमी आकार की पथरी के लिए होता है।

वहीं पीसीएनएस विधि से 20 मिमी से ज्यादा आकार की पथरी को निकाला जाता है। यह दोनों विधियों से बिना टांके और चीरे के पथरी निकाली जा सकती है। वहीं आजकल एक और नई तकनीक आई है आरआइआरएस (रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी) इसमें बिना चीरा लगाए पथरी निकाली जाती है।

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स्टोन का एनालिसिस जरूरी : डॉ. जैन ने बताया कि 15 प्रतिशत उत्तर भारतीयों को गुर्दे की पथरी की शिकायत होती है। इसमें 50 फीसद लोगों को पुन: पथरी हो जाती है। इसका प्रमुख कारण है कि डॉक्टर केवल पथरी निकाल देते हैं। उसकी जांच नहीं करवाते हैं, जांच से पथरी के प्रकार का पता चलता है।

जैसे सिस्टीन या यूरिक एसिड स्टोन ज्यादा मटन खाने की वजह से होता है। वहीं ऑक्सेलेट स्टोन हरी पत्तेदार सब्जी की वजह से होता है। इस तरह से एनालिसिस करके लोगों को डाइट बताई जाती है, जिससे दोबारा पथरी होने की संभावना कम हो जाती है। केजीएमयू के डॉ. एचएस पहवा ने बताया कि कई लोगों में पेनिस कैंसर भी हो जाता है।

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इसका प्रमुख कारण है कि पेनिस की साफ-सफाई न रखना। कैंसर होने पर सर्जरी भी की जाती है। इसमें पेनिस को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है, या आधा निकाला जाता है। पूरा निकाले जाने की स्थिति में कृत्रिम पेनिस भी बनाया जाता है।

दिवाकर दलेला ने बताया कि किडनी में लम्प की जांच कैसे की जाए। व्यक्ति में किसी तरह की चोट, इंफेक्शन की वजह से किडनी में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से कभी-कभी किडनी बहुत ज्यादा कड़ी हो जाती है। कभी इनका आकार बिगड़ जाता है तो कभी इसमें पानी भर जाता है।

अत: लम्प के कारणों का पता कर उसका इलाज करना चाहिए। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ. महेंद्र पाल ने बताया कि अगर अंडकोष में किसी तरह की सूजन हो और उसमें दर्द न हो तो टेस्टीकूलर ट्यूमर हो सकता है।

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