आखिर कौन था तूफान सिंह, जिस पर उठ रहा बवंडर?

तूफान सिंहनई दिल्ली। सेंसर बोर्ड से संस्कारी पहलाज निहलानी का साया दूर हो गया, जिसकी वजह से बॉलीवुड में हर तरफ खुशी का माहौल था, लेकिन सेंसर बोर्ड के नए अध्यक्ष प्रसून जोशी ने गद्दी संभालते ही पहला झटका दे देते हुए पंजाबी फिल्म तूफान सिंह को सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष बनने के बाद प्रसून जोशी की टेबल पर आई यह पहली फिल्म थी।

फिल्म ‘तूफान सिंह’ में दिखाए गए मुख्य किरदार तूफान सिंह को शहीद बताया गया है, उसकी तुलना भगत सिंह से की गई है। जबकि सेंसर बोर्ड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फिल्म में तूफान सिंह एक आतंकवादी का रोल अदा करता है। वह नेताओं और पुलिसवालों की हत्या करता है।

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इस फिल्म को बघेल सिंह ने डायरेक्ट किया है। इसमें रंजीत बावा, शि‍फाली शर्मा और यशपाल शर्मा ने मुख्य भूमिका निभाई है। इसके निर्माता दिलबाग सिंह हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौन था तूफान सिंह और क्या है उसकी पूरी कहानी।

जुगराज सिंह तूफान 1971 में पंजाब के चीमा खुदी गांव में जन्मा था। वह अपनी पांच बहनों में इकलौता भाई था। जब 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया, उस समय तूफान  केवल 13 साल का था। उसने इसे सिखों पर अत्याचार माना और वह बदले की भावना से उबलने लगा।

जुगराज ने कुछ दिन नाभा जेल में गुजारे। यहां उसकी मुलाकात चरमपंथी मनबीर सिंह चाहेरू और बलदेव सिंह गुमान से हुई। सिंह ने जुगराज से कहा, वह बहुत छोटा है और अपने पिता का इकलौता बेटा है, इसलिए इस लड़ाई में आने की बजाय घर पर ही रहे। लेकिन तूफान ने हिंसा का रास्ता अपनाए रखा।

1987 में जुगराज सिंह तूफान खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के प्रमुख अवतार सिंह ब्रह्मा के संपर्क में आया और उसकी लीडरशिप में चरमपंथ की ये लड़ाई लड़ता रहा। इसके बाद जालंधर में पंजाब आर्म्ड पुलिस हेडक्वार्टर में हुई पुलिस ऑफिसर गोविंदराम की हत्या के मामले में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में तूफान का नाम आया। इस घटना के बाद सिख समुदाय का तूफान को पूरा समर्थन और सहानुभूति मिली। दूसरी ओर पुलिस भी पूरी ताकत से उसके पीछे लग गई।

आठ अप्रैल, 1990 को श्री हरगोविंदपुर के पास एक गांव में पुलिस और बीएसएफ ने उस घर को घेर लिया, जिसमें जुगराज सिंह तूफान ठकरा था। अंतत: मुठभेड़ में जुगराज मारा गया। बताया जाता है कि जुगराज के अंतिम संस्कार में चार लाख लोग शामिल हुए थे। जुगराज को सिख समुदाय के कुछ लोग आज भी शहीद मानते हैं। लेकिन पुलिस उसे आतंकी मानते हैं।

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