Tokyo Olympics : यूं ही नहीं मिली नीरज को सफलता, 1 साल तक बंद रखा था फोन और सिर्फ मां से करते थे बात

नीरज चोपड़ा को सोने का तमगा यूं ही हासिल नहीं हुआ इसके पीछे उनके त्याग और बलिदान की लंबी कहानी है। ध्यान अगर उनकी तैयारियों पर हो तो, इसके लिए उन्होंने एक साल पहले ही मोबाईल फोन से किनारा कर लिया था। वह मोबाईल को स्विच ऑफ रखते थे। जब भी मां सरोज और परिवार से बात करनी होती थी तो वह खुद वीडियो कॉलिंग करते थे। सोशल मीडिया तक से उन्होंने दूरी बना रखी थी। नीरज के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा तीन चाचा शामिल हैं। एक ही छत के नीचे रहने वाले 19 सदस्यों के परिवार में वह 10 भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं।

नीरज चोपड़ा को इस खेल के अगले स्तर पर पहुंचने के लिए जब वित्तीय सहायता की जरूरत थी, जिसमें बेहतर उपकरण और बेहतर आहार की आवश्यकता थी। ऐसे में उनके संयुक्त किसान परिवार में माता-पिता के अलावा तीन चाचा शामिल है। परिवार की हालत ठीक नहीं थी और वह उसे 1.5 लाख रुपए का जेवलिन नहीं दिला सकते थे। पिता सतीश चोपड़ा और चाचा भीम ने किसी तरह 7000 रुपए जोड़े और उन्हें अभ्यास के लिए जेवलिन लाकर दिया।

बिना कोच के वीडियो देख दूर की कमियां

जीवन में उतार-चढ़ाव का सिलसिला यूं ही जारी रहा। एक समय ऐसा भी आया जब नीरज के पास कोच तक नहीं थे। लेकिन नीरज ने हार न मानते हुए यू ट्यूब चैनल से विशेषज्ञों की टिप्स पर अमल करते हुए अभ्यास किया। वीडियो से अपनी कमियों को दूर किया।

2017 में सेना से जुड़े

2017 में सेना से जुड़ने पर नीरज ने बताया था कि उनका परिवार किसान है। परिवार के किसी के भी पास सरकारी नौकरी नहीं है। परिवार किसी तरह उनकी मदद कर रहा था। लेकिन अब राहत है कि वह प्रशिक्षण जारी रखने के साथ परिवार की आर्थिक मदद करने में भी सक्षम हैं।

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